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Delhi NCR Pollution: प्रदूषण से दिल्ली परेशान, Red Zone में पहुँचा AQI - दिल्ली का सबसे प्रदूषित इलाका आईटीओ दिल्ली

दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. शनिवार को अधिकतर इलाकों में प्रदूषण का स्तर रेड जोन में है. दिल्ली का सबसे प्रदूषित इलाका आईटीओ दिल्ली में दर्ज किया गया है. यहां का एक्यूआई 446 दर्ज किया गया है जो कि अत्यंत गंभीर श्रेणी में है.

Delhi NCR Pollution
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Published : Jan 14, 2023, 7:42 AM IST

नई दिल्ली: शनिवार को दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी बरकरार है. दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन में दर्ज किया गया है. दिल्ली के कई इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के पार दर्ज किया गया है. दिल्ली में सबसे प्रदूषित ITO है. यहां का AQI 446 दर्ज हुआ है. गाजियाबाद और नोएडा के कई इलाकों का AIR QUALITY INDEX भी रेड जोन में दर्ज किया गया है.

दिल्ली के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

दिल्ली के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
अलीपुर 377
शादीपुर 362
डीटीयू दिल्ली 374
आईटीओ दिल्ली 446
सिरिफ्फोर्ट 364
मंदिर मार्ग 376
आरके पुरम 374
पंजाबी बाग 390
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम 372
नेहरू नगर 402
द्वारका सेक्टर 8 372
पटपड़गंज 391
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज 362
अशोक विहार 372
सोनिया विहार 387
जहांगीरपुरी 385
रोहिणी 381
विवेक विहार 391
नजफगढ़ 352
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 375
नरेला 395
ओखला फेस टू 374
बवाना 387
श्री औरबिंदो मार्ग 378
मुंडका 368
आनंद विहार 382
IHBAS दिलशाद गार्डन 281

गाजियाबाद के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

गाजियाबाद के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
वसुंधरा 269
इंदिरापुरम 264
संजय नगर 287
लोनी 342

नोएडा के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

नोएडा के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
सेक्टर 62 322
सेक्टर 125 330
सेक्टर 1 321
सेक्टर 116 334

Air quality Index की श्रेणी:एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ. त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

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