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देश का सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली, 10 सबसे प्रदूषित शहरों में तीन NCR के - केंद्र सरकार ने नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम

दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर है. यही नहीं देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में तीन NCR के शहर शामिल हैं. वहीं बुधवार को दिल्ली एनसीआर के अधिकतर इलाकों का प्रदूषण का स्तर Red Zone में रहा. (Air Quality Index in Delhi NCR)

Delhi NCR Pollution Update Today
Delhi NCR Pollution Update Today

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Published : Jan 11, 2023, 2:11 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: खराब एयर क्वालिटी (Poor Air Quality) दिल्ली एनसीआर ही नहीं बल्कि देश के लिए एक बड़ी चुनौती है. 10 जनवरी, 2019 को केंद्र सरकार ने नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP-National Clean Air Programme) लॉन्च किया था. एनसीएपी को चार साल पूरे हो गए हैं. इस दौरान 130 से अधिक शहरों में प्रदूषण को कम करने के लिए 6 हजार 897 करोड़ रुपये खर्च किए गए. एनसीएपी की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में इस दौरान मामूली सुधार हुआ है.

नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) ट्रैकर की रिपोर्ट के मुताबिक़ 2019 की तुलना में 2022 में दिल्ली के पीएम 2.5 का स्तर 7.4 प्रतिशत घटा है. जो कि उम्मीद से काफी कम बताया जा रहा है. 2019 के 108 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से घटकर यह 2022 में 99.71 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रह गया है. इस अवधि के दौरान गाजियाबाद का पीएम 2.5 स्तर 22 प्रतिशत और नोएडा का 28 प्रतिशत घटा है.

देश की राजधानी दिल्ली देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में नंबर एक पर है. NCAP की देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में दिल्ली एनसीआर के तीन शहर दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद शामिल हैं.

देश का सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली

क्यों बढ़ रहा प्रदूषण:पराली और आतिशबाजी खत्म होने के बाद जनवरी में भी प्रदूषण लोगों का दम घुट रहा है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अब प्रदूषण की वजह क्या है? केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के मुताबिक जनवरी में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह झज्जर है.

थर्मल पावर प्लांट पर सवाल: एक्सपर्ट झज्जर में कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में आने वाले कुछ दिनों तक झज्जर ही प्रदूषण की बड़ी वजह रहने वाला है. एक्सपर्ट के अनुसार पिछले ग्रेप में दिल्ली एनसीआर के 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित 11 कोयला आधारित प्लांट के लिए नियम तय थे. प्रदूषण के गंभीर होने पर यह नियम था कि अधिक से अधिक बिजली नेचुरल गैस से चलने वाले प्लांट से ली जाएगी और इन 11 प्लांट से कम से कम बिजली ली जाएगी, ताकि प्रदूषण कम हो. वहीं इस साल जब कमीशन फॉर एयर क्वालिटी एंड मैनेजमेंट ने ग्रेप को रिवाइज किया तो उसमें यह नियम नहीं रहा.

बुधवार को दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी बरकरार है. दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन में दर्ज किया गया है. दिल्ली के कई इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के पार दर्ज किया गया है. दिल्ली में सबसे प्रदूषित ITO दिल्ली है यहां का AQI 422 दर्ज हुआ है. गाजियाबाद और नोएडा के कई इलाकों का AIR QUALITY INDEX भी रेड जोन में दर्ज किया गया है.

दिल्ली के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

दिल्ली के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
अलीपुर 269
शादीपुर 306
डीटीयू दिल्ली 270
आईटीओ दिल्ली 422
सिरिफ्फोर्ट 342
मंदिर मार्ग 466
आरके पुरम 362
पंजाबी बाग 363
लोधी रोड 246
नॉर्थ कैंपस डीयू 421
CRRI मथुरा रोड 331
पूसा 331
IGI एयरपोर्ट टर्मिनल 272
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम 321
नेहरू नगर 383
द्वारका सेक्टर 8 346
पटपड़गंज 354
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज 354
अशोक विहार 295
सोनिया विहार 302
जहांगीरपुरी 358
रोहिणी 294
विवेक विहार 346
नजफगढ़ 250
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 328
नरेला 300
ओखला फेस टू 344
बवाना 263
श्री औरबिंदो मार्ग 324
मुंडका 313
आनंद विहार 380
IHBAS दिलशाद गार्डन 250
चांदनी चौक 201

गाजियाबाद के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

गाजियाबाद के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
वसुंधरा 346
इंदिरापुरम 251
संजय नगर 223
लोनी 237

नोएडा के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

नोएडा के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
सेक्टर 62 276
सेक्टर 125 226
सेक्टर 1 270
सेक्टर 116 300

Air quality Index की श्रेणी:एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ. त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

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