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Red Zone में दिल्ली का AQI बरकरार, गाजियाबाद और नोएडा की हवा में सुधार

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Published : Dec 29, 2022, 11:03 AM IST

दिल्ली और न्यू कैपिटल रीजन यानी एनसीआर में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार को भी अधिकतर इलाकों में प्रदूषण का स्तर Red Zone में ही रहा. कुल मिलाकर एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air quality Index) के हिसाब से आंकड़ा 300 के पार ही रहा.

pollution in Delhi ncr
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नई दिल्ली/गाजियाबाद: गुरुवार को दिल्ली का एकयूआई रेड जोन में दर्ज किया गया है. जबकि गाजियाबाद और नोएडा के एयर क्वालिटी इंडेक्स में सुधार देखने को मिला है. दोनों इलाकों का एक्यूआई खराब श्रेणी में दर्ज किया गया है. आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में दिल्ली एनसीआर के हवा में सुधार हो सकता है. रिपोर्ट में देखिए दिल्ली एनसीआर के 48 प्रमुख इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स.

० दिल्ली
अलीपुर- 332
शादीपुर- 343
डीटीयू दिल्ली- 214
आईटीओ दिल्ली- 278
सिरिफोर्ट- 313
मंदिर मार्ग- 285
आरके पुरम- 298
पंजाबी बाग- 323
लोधी रोड- 231
नॉर्थ केंपस डीयू- 293
सीआरआरआई मथुरा रोड- 256
पूसा- 277
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3- 257
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम- 302
नेहरू नगर- 352
द्वारका सेक्टर 8- 328
पटपड़गंज- 310
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज- 295
अशोक विहार- 304
सोनिया विहार- 313
जहांगीरपुरी 3- 343
रोहिणी -316
विवेक विहार- 331
नजफगढ़- 234
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम- 310
नरेला- 322
ओखला फेस टू 2- 286
वजीरपुर- 321
बवाना- 317
श्री औरबिंदो मार्ग- 287
मुंडका- 340
आनंद विहार- 308
IHBAS दिलशाद गार्डन- 255

० गाजियाबाद
वसुंधरा- 311
इंदिरापुरम- 116
संजय नगर- 240
लोनी- 237

० नोएडा
सेक्टर 62- 310
सेक्टर 125- 259
सेक्टर 1- 234
सेक्टर 116- 262

० Air quality Index की श्रेणी:- एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

० (PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी:- वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.

० Sinusitis और Bronchitis का खतरा:- डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

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