नई दिल्ली : दिल्ली में सोमवार से विधानसभा का सत्र शुरू हुआ, जिसमें मंत्री कैलाश गहलोत ने सदन में विधायकों, मंत्रियों, चीफ व्हिप, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और लीडर ऑफ ऑपोजिशन के वेतन भत्ते में बढ़ोतरी का बिल पेश किया.
दिल्ली विधायकों के वेतन में 66.67 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में दिल्ली के विधायकों का वेतन बढ़ाने संबंधी मसला करीब 7 साल से लटका हुआ था. अब विधायकों के वेतन संबंधित विधेयक को स्वीकृति मिल गयी है तो विधायकों को वेतन और भत्तों को मिलकर 54 हजार रुपये प्रतिमाह की जगह 90 हज़ार रुपये मिलेंगे. विधायकों के वेतन बढ़ाने संबंधी बिल को गत मई माह में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी स्वीकृति दे दी थी. जिससे संशोधन का मार्ग प्रशस्त हुआ है. इससे पहले दिल्ली के विधायकों का वेतन 2011 में बढ़ा था.
हालांकि विधायकों के वेतन में जिस अनुपात में बढ़ोतरी की गई है उस पर दिल्ली विधानसभा में चर्चा के दौरान आप विधायक विशेष रवि व संजीव झा ने कहा कि दिल्ली में विधायकों का वेतन देशभर के विधायकों से सबसे कम था. जबकि राष्ट्रीय राजधानी में रहने की लागत सबसे अधिक है. दिल्ली में विधायक को अपना दफ्तर चलाने में बहुत खर्चा होता है. वहीं विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि "1993 से 2011 के बीच पांच बार सैलरी बढ़ी है. इस बार 11 साल में सैलरी बढ़ी है."
"किसी भी संस्था/सरकार में कितने टैलेंटेड लोग बैठे हैं यह मायने रखता है. टैलेंट को आकर्षित करने के लिए निजी व नामी कंपनी पैसा देती है. मार्केट वैल्यू लेना है तो मार्केट में काम कर लो. मैं इस बात से सहमत नहीं हूं मार्केट वैल्यू पर विधायकों की सैलरी तय की जाए. समाज के प्रति विधायक की अलग जिम्मेदारी है. विधायकों का वेतन किसी कॉपोरेट कंपनी से नहीं आ रहा है. हमारी सैलरी जनता के टैक्स से आती है. इसलिए जो बढ़ोतरी हुई है, वह ठीक है."
मनीष सिसोदिया, उपमुख्यमंत्री