नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर हुई हिंसा पर दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट तलब किया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने दो हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी. कोर्ट ने कहा कि आज सुबह तक की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में आठ लोगों की गिरफ्तारी की गई है. कोर्ट ने सभी सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने का आदेश दिया. कोर्ट ने डीसीपी उत्तरी दिल्ली के इस बयान को दर्ज किया कि सभी दूसरे साक्ष्यों को संरक्षित रखा गया है.
सुनवाई शुरू होते ही केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले पर गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से बात की है और सुरक्षा के मसले का हल किया जाएगा. याचिकाकर्ता सौरभ भारद्वाज की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दिल्ली पुलिस की सुरक्षा के बावजूद ऐसा होना सवाल खड़े करता है. सिंघवी ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करने की मांग की. सिंघवी की इस मांग का एएसजी संजय जैन ने विरोध करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने 24 घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज की है. दिल्ली पुलिस कार्रवाई कर रही है. अगर जनहित याचिका पर नोटिस जारी होगा तो ग़लत परंपरा की शुरुआत होगी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हमने वीडियो देखा है. वो अराजक भीड़ थी. कैमरे तोड़ दिए गए. लोगों ने गेट पर चढ़कर उसे पार करने की कोशिश की. भीड़ ने कानून अपने हाथ में ले लिया था. कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री आवास पर पुलिस बंदोबस्त भी मजबूत नहीं थी. इस पर संजय जैन ने कहा कि याचिकाकर्ता एक राजनीतिक व्यक्ति हैं और ये याचिका राजनीति से प्रेरित है. कोर्ट आने से पहले मामला प्रेस में चला गया. दिल्ली पुलिस ने किसी को प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी. इसकी जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले की अगर कोर्ट की निगरानी में जांच का आदेश दिया जाता है तो इसका गलत संदेश जाएगा. तब कोर्ट ने कहा कि अगर आप नोटिस जारी करने को लेकर इतने संवेदनशील हैं तो आपको इसकी जांच को लेकर गंभीर होना होगा.
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि दिल्ली पुलिस कोई चैरिटी नहीं कर रही है. दिल्ली पुलिस कह रही है कि वो सचिवालय के साथ मिलकर बात करेंगे. अगर प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर कुछ होता है तो क्या वे ऐसे ही करेंगे. पंजाब में तो केवल 20 मिनट का जाम हुआ था लेकिन उसके बाद क्या हुआ. दिल्ली पुलिस कह रही है कि इस मामले में मुख्यमंत्री को कोर्ट आना चाहिए. प्रधानमंत्री की सुरक्षा चूक पर सुप्रीम कोर्ट कौन गया था. तब कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ता पर कुछ नहीं कह रहे हैं.