नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने चांदनी चौक इलाके में हॉकर्स और वेंडर्स के अवैध अतिक्रमण हटाने में नाकाम रहने पर दिल्ली पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम आयुक्त को तलब किया है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने 28 फरवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि नगर निगम और दिल्ली पुलिस ने केवल चुनिंदा अतिक्रमण हटाने का काम किया है. इससे चांदनी चौक इलाके में हॉकर्स और वेंडर्स के अतिक्रमण से स्थायी रूप से मुक्ति मिलती नहीं दिख रही है. हॉकर्स और वेंडर्स वहां भी अतिक्रमण कर रहे हैं जो नो हॉकिंग और नो वेंडिंग जोन में भी अतिक्रमण कर चुके हैं, ऐसे में दिल्ली पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम आयुक्त व्यक्तिगत रूप से पेश होकर इस समस्या का हल कैसे हो ये बताएं.
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नवंबर 2021 में कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में हर किसी को आकर खोमचा लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. ऐसा करने पर जंगल राज हो जाएगा. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को सही तरीके से लागू किया जाए. कोर्ट ने सभी नगर निगमों को निर्देश दिया कि वो स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट का पालन करते हुए स्ट्रीट वेंडिंग की योजना बनाएं.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील संजीव राली ने 1989 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने सौदान सिंह बनाम नई दिल्ली नगरपालिका कमेटी के फैसले का जिक्र करते हुए किया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर फुटपाथ पर किए जा रहे व्यवसाय को रेगुलेट किया जाता है तो उसे केवल इस आधार पर नहीं हटाया जा सकता है कि वो चलने की जगह पर हैं. राली ने कहा कि व्यवसाय करना मौलिक अधिकार है लेकिन वेंडिंग के लिए लाईसेंसिंग की प्रक्रिया होनी चाहिए.