नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एक अंतरिम आदेश में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सेंट्रल रिज पर कोई निर्माण नहीं होगा. सेंट्रल रिज स्थित स्मारक मालचा महल में आगंतुकों के लिए 25 मीटर की चारदीवारी, ग्रिल कार्य और शौचालय का निर्माण होना शामिल है. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्मारक का निर्माण महत्वपूर्ण है, हालांकि, आज की स्थिति के अनुसार, सेंट्रल रिज में चारदीवारी या शौचालय के निर्माण के माध्यम से ऐसा नहीं किया जाना है. सेंट्रल रिज, जो 864 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में दिल्ली में उत्तरी अरावली तेंदुआ वन्यजीव गलियारे में स्थित है. इसे वर्ष 1914 में एक आरक्षित वन में बनाया गया था और यह सदर बाज़ार के ठीक दक्षिण से धौला कुआँ तक फैला हुआ है.
मालचा महल तुगलक युग का शिकार लॉज है, जो सेंट्रल रिज के अंदर स्थित है. इस लॉज में उस समय शिकार खेलने के लिए आने वाले लोग ठहरते थे. अदालत सोमवार को एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) वकील गौतम नारायण और आदित्य एन प्रसाद ने उन मामलों से संबंधित मुद्दों को उठाते हुए एक संक्षिप्त याचिका दायर की थी, जहां पार्टियों को राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ लगाने के निर्देश दिए गए थे.
एक अंग्रेजी समाचार पत्र में प्रकाशित एक रिपोर्ट के आधार पर एमिकस क्यूरी द्वारा न्यायमूर्ति सिंह के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया, जिसका शीर्षक था चारदीवारी, लोहे की ग्रिल और हरियाली के साथ शाही बदलाव के लिए मालचा महल. रिपोर्ट में कहा गया है कि मालचा महल के नवीनीकरण और संरक्षण के तहत दिल्ली सरकार ने जल्द ही स्मारक पर 2 फुट ऊंची चारदीवारी बनाने का फैसला किया है. लेख में कहा गया है कि इसके शीर्ष पर 5 फीट ऊंची लोहे की ग्रिल होगी और इसे पत्थर की चिनाई से बनाया जाएगा.