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तिथि निर्धारित होने के बाद चुनाव पर रोक नहीं लगा सकते : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमसीडी चुनाव पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा है कि एक बार चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद इसपर रोक नहीं लगाया जा (Delhi High Court says cant stay elections) सकता.

Delhi High Court says cant stay elections
Delhi High Court says cant stay elections

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Published : Nov 9, 2022, 2:38 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बुधवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आगामी चुनावों पर रोक लगाने से इनकार (Delhi High Court says cant stay elections) कर दिया. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) द्वारा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है, इसलिए न्यायालय उस पर रोक नहीं लगाएगा. इससे पहले राज्य चुनाव आयुक्त ने शुक्रवार को एमसीडी के चुनाव (MCD Electio 2022) कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा था कि शहर के 250 नगरपालिका वार्डों के लिए मतदान 4 दिसंबर को होगा और 7 दिसंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे.

उच्च न्यायालय के समक्ष बुधवार को वार्डों के परिसीमन और उनके आरक्षण को चुनौती देने वाली तीन याचिकाएं सूचीबद्ध की गईं. इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से याचिका पर सुनवाई होने तक चुनाव पर रोक लगाने का अनुरोध किया. इसपर हाई कोर्ट ने कहा कि वह ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करेगा. पीठ ने कहा कि, 'एक बार चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद, हम इस पर रोक नहीं लगा सकते.' अदालत ने मामलों पर राज्य चुनाव आयोग, केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया और उन्हें 15 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. परिसीमन को चुनौती देने वाली एक कांग्रेस नेता की एक अन्य याचिका भी सूचीबद्ध है.

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कांग्रेस नेता अनिल कुमार की याचिका में तर्क दिया गया है कि चुनावों के लिए वार्डों का विभाजन समुदाय और धार्मिक आधार पर किया गया, जिससे संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ. याचिका में आरोप लगाया गया कि दलित और अल्पसंख्यक आबादी को एक वार्ड से कई वार्डों में बांटकर उनकी आवाज दबाने की साजिश की गई है. याचिका में आगे तर्क दिया गया है कि परिसीमन प्रक्रिया ने निम्न आय वर्ग में आने वाले वंचित वार्डों को उनकी जनसंख्या के आकार में वृद्धि करके अंधेरे में धकेल दिया है, जबकि कुलीन वार्डों को छोटे जनसंख्या आकार के लिए चुना गया है. चारों याचिकाओं में परिसीमन आदेश को असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की गई है.

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