नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल कृष्ण अग्रवाल ने फहीम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोई भी जांच एजेंसियां अपनी सनक और मनमर्जी के मुताबिक काम नहीं कर सकती हैं और कोर्ट के पास उनकी शक्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त शक्ति है. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों के पास किसी भी मामले की निगरानी करने की शक्ति होती है और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से किसी भी अनुचित आचरण को उचित ठहराने और उनसे जांच में सुधार करने की उम्मीद की जाती है.
फहीम के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने चोरी, यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी सहित विभिन्न अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी. पुलिस के अनुसार, आरोपी कथित तौर पर मुख्य आरोपी महफूज के सहयोगियों में से एक था और उसने कथित तौर पर शिकायतकर्ता की झुग्गी में घुसकर चोरी की और उसकी पत्नी का यौन उत्पीड़न किया. कोर्ट ने कहा कि मुख्य आरोपी महफूज को इस मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है और इस आरोपी के खिलाफ मामला बहुत छोटा है.
कोर्ट ने आगे कहा कि पुलिस अधिकारी (आईओ) आरोपी के खिलाफ कोई और सबूत पेश नहीं कर सका है, जो एफआईआर में फहीम के खिलाफ लगाए गए आरोपों की पुष्टि कर सके. चूंकि शिकायतकर्ता की पत्नी का बयान पहले ही दर्ज किया जा चुका है, इसलिए आरोपी को हिरासत में भेजने का कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता और उससे हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है.