नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की उस याचिका (Hearing on Tahir Hussain Petition) पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों (Delhi Violence) से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ-साथ हुसैन को दो दिनों के भीतर अपने लिखित बयान (तीन पृष्ठों से अधिक नहीं) दाखिल करने का निर्देश दिया.
ईडी ने आरोप लगाया है कि हुसैन ने फर्जी और दुर्भावनापूर्ण लेनदेन के माध्यम से अपने स्वामित्व वाली और नियंत्रित कुछ कंपनियों के खातों से "अपने सहयोगियों के साथ धोखाधड़ी से पैसे निकालने की साजिश रची" और इस पैसे को दंगों के दौरान इस्तेमाल किया गया था. एडवोकेट जोहेब हुसैन ईडी की ओर से पेश हुए और अदालत को बताया कि हुसैन के खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने दंगों को वित्तपोषित किया. उन्होंने कहा कि आरोप तय करने के पहलू पर कानून तय किया गया है और याचिका निचली अदालत में आगे बढ़ने के लिए उपयुक्त मामला है. उन्होंने मांग की कि हाईकोर्ट में दायर याचिका को खारिज किया जाए. हालांकि, हुसैन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता नवीन मल्होत्रा ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप जीएसटी अधिनियम का उल्लंघन है, न कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए).