दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

ट्विटर इंडिया के खिलाफ खालिस्तान आंदोलन को प्रमोट करने के आरोप पर सुनवाई से इनकार - खालिस्तान आंदोलन

ट्विटर इंडिया के खिलाफ खालिस्तान आंदोलन को प्रमोट करने के आरोप पर सुनवाई करने से दिल्ली हाईकोर्ट इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के यहां अपनी बात नहीं रखी.

delhi high court refuses hear against twitter india for anti india tweet
दिल्ली हाईकोर्ट

By

Published : Sep 30, 2020, 3:51 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने आज ट्विटर इंडिया के खिलाफ खालिस्तान आंदोलन को प्रमोट करने की साजिश को अंजाम देने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने केस की मेरिट पर गौर किए बिना कहा कि याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के यहां अपनी बात नहीं रखी.

ट्विटर इंडिया के खिलाफ सुनवाई से इनकार

'याचिकाकर्ता पहले सरकार के पास जाएं'

याचिकाकर्ता संगीता शर्मा की ओर से वकील देश रतन निगम ने कहा कि ट्विटर भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है. तब कोर्ट ने कहा कि आपकी याचिका में महज ये कह देने से कि ये जनहित से जुड़ा है, आपको सरकार के पास पहले जाने से रोक नहीं देता. तब निगम ने कहा कि संसद सदस्य अनंत कुमार हेगड़े ने ये बात उठाई थी. तब कोर्ट ने कहा कि ये बात याचिकाकर्ता ने सरकार के पास कभी नहीं उठाई है. हम चाहते हैं कि याचिकाकर्ता पहले सरकार के पास जाएं.

'सोशल मीडिया पर नियम-कायदे बना रही सरकार'

सुनवाई के दौरान एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता को कोर्ट में आने से पहले अथॉरिटी के पास जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया को लेकर सरकार नियम-कायदे बना रही है. उसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट से याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी और केंद्र सरकार के पास अपनी बात रखने की छूट देने की मांग की. उसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी.

खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा देने का आरोप

याचिका में ट्विटर इंडिया के अधिकारियों राहिल खुर्शीद और महिमा कौल के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि ट्विटर इंडिया खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा देने और राष्ट्रविरोधी एजेंडा के साथ काम कर रही है. याचिका में कहा गया था कि राहिल खुर्शीद और महिमा कौल के खिलाफ यूएपीए की धारा 107, 121ए, 124ए, 153ए, 153बी , भारतीय दंड संहिता की धारा 34 और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की धारा 66एफ के तहत केस दर्ज करने की मांग की गई है.

'सोशल मीडिया के कंटेंट को रेगुलेट करने का कोई मैकेनिज्म नहीं'

याचिका में कहा गया था कि ट्विटर इंडिया समेत सोशल मीडिया के कंटेंट को रेगुलेट करने का कोई मैकेनिज्म नहीं होने की वजह से इनका इस्तेमाल अलगाववादी ताकतें कर रही हैं. इन अलगाववादी ताकतों की वजह से समाज के कुछ तबकों में भय का माहौल पैदा हो गया है. ये अलगाववादी ताकतें देश की एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता को चुनौती दे रही हैं.

एनआईए से जांच की मांग

याचिका में ट्विटर इंडिया पर आरोप लगाया गया था कि ये अलगाववादी ताकतों की ओर से चलाए जा रहे विज्ञापनों के लिए पैसे कबूल कर उनके मंसूबों को शह दे रहा है. याचिका में कहा गया था कि सांसद अनंतकुमार हेगड़े ने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया था, इसके बावजूद ट्विटर ने कोई कार्रवाई नहीं की. आरोप है कि ट्विटर इंडिया का प्रबंधन निष्पक्ष नहीं है और वर्तमान सरकार के खिलाफ एकतरफा प्रचार किया जा रहा है. याचिका में कहा गया था कि इन सारे मामलों की एनआईए से जांच की जानी चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details