दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

दिल्ली हाईकोर्ट ने वन विभाग के अफसरों की लगाई फटकार, कहा- जहरीली हवा के लिए विभाग जिम्मेदार

दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी में पेड़ों की कटाई को लेकर वन विभाग के सामने सवाल किया. कोर्ट ने वन विभाग से पूछा कि क्या आप लोगों को गैस चैंबर में रखना चाहते हैं. हाईकोर्ट पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए वन विभाग से कई सवाल किए. Delhi high court, Delhi pollution, forest department

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 3, 2023, 10:37 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी में पेड़ों की कटाई की अनुमति देने वाले और रूढ़िवादी आदेश पारित करने के लिए शुक्रवार को वन विभाग को लताड़ा. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने मौखिक रूप से टिप्पणी कर कहा कि यह विभाग और उसके अधिकारियों का आकस्मिक दृष्टिकोण है. इसके कारण शहर में विषाक्त स्तर या वायु प्रदूषण बढ़ गया है. वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है.

दिल्लीवासी हैं परेशान: कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि लोग गैस चैंबरों में रहें? दिल्लीवासी प्रदूषण के कारण जिस परेशानी में हैं, उसके लिए आप जिम्मेदार हैं. ऐसी मशीनें हैं जो हवा की गुणवत्ता रिकॉर्ड करती हैं. मशीनें अधिकतम 999 एक्यूआई तक रिकॉर्ड कर सकती हैं और हम इस मानक को छू रहे हैं. यह अधिकारियों के बीच संवेदनशीलता की कमी है.

हाईकोर्ट पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए वन अधिकारियों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी. न्यायालय ने वन अधिकारियों द्वारा पारित कुछ आदेशों की जांच की और पाया कि वे न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन हैं. लाइन ऑर्डर और ऐसे निर्देशों के लिए कोई कारण नहीं बताया. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 14 सितंबर, 2023 को आदेश दिया कि शहर में मकान बनाने के लिए पेड़ों की कटाई की इजाजत नहीं दी जाएगी.

अगस्त में बेंच ने कहा था कि किसी भी व्यक्ति को पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं दी जाएगी और महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए आवश्यक किसी भी अनुमति के बारे में अदालत को सूचित किया जाएगा. याचिकाकर्ता भवरीन कंधारी की ओर से वकील आदित्य एन प्रसाद पेश हुए और तर्क दिया कि स्पष्ट निर्देशों के बावजूद गैर-तर्कसंगत आदेश पारित किए जा रहे हैं और पेड़ काटे जा रहे हैं. न्यायालय ने वन अधिकारियों द्वारा पारित कुछ आदेशों की जांच की और पाया कि वे न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन हैं.

ये भी पढ़ें:Special Interview: NSD के छात्र से लेकर स्थायी निदेशक बनने तक का सफर, जानिए सुप्रसिद्ध कलाकार चितरंजन त्रिपाठी की सफलता की कहानी

मामला 8 नवंबर तक स्थगित:बेंच ने कहा कि यह अदालत के आदेशों की पूरी तरह से अवहेलना है. इसमें कहा गया कि अदालत विकास के खिलाफ नहीं है, लेकिन विकास को प्रकृति और विरासत के साथ सह-अस्तित्व में होना चाहिए. विकास को प्रकृति और विरासत के साथ सह-अस्तित्व में रहना चाहिए. हम विकास के रास्ते में नहीं आ रहे हैं. अगर ट्रैफिक जाम है, तो आपको सड़कों को चौड़ा करना होगा. ऐसा नहीं हो सकता कि आप आसपास के 50 पेड़ काट देंगे. यदि कोई अन्य रास्ता नहीं है. कॉलोनियां वृक्ष विहीन कैसे हो सकती हैं? न्यायमूर्ति सिंह ने आगे कहा कि सुनवाई की अगली तारीख पर वह वन अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​का नोटिस तैयार करने पर विचार करेंगे.

ये भी पढ़ें:Shekhawat defamation case: शेखावत के वकील के पेश न हो पाने के कारण मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई 20 नवंबर तक टली

ABOUT THE AUTHOR

...view details