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पुरानी जब्त गाड़ियों को उसके मालिकों से दिल्ली से बाहर ले जाने का वायदा लेकर छोड़ें: दिल्ली हाईकोर्ट - Order to leave vehicles after undertaking

दिल्ली हाईकोर्ट ने जब्त किए गए वाहनों को अंडरटेकिंग लेकर छोड़ने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि पॉलिसी का मकसद प्रदूषण कम करना है न कि कारों को स्क्रैप करना. कोर्ट ने यह भी कहा कि गाड़ी मालिकों को लिखित में देना होगा कि वह पुराने वाहनों को दिल्ली से बाहर ले जाएंगे और नियमों का कोई उल्लंघन नहीं करेंगे.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 23, 2023, 10:20 AM IST

नई दिल्ली:राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल-सीएनजी और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को दिल्ली में रखने का समय पूरा होने के चलते जिन्हें जब्त किया गया था, उन गाड़ी मालिकों से लिखित में अंडरटेकिंग लेकर छोड़ने का दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को आदेश जारी कर दिया. आदेश के अनुसार गाड़ी मालिकों को अंडरटेकिंग में यह वचन देना होगा कि वे इन गाड़ियों को दिल्ली में कभी नहीं चलाएंगे और स्थाई रूप से दिल्ली की सीमा से बाहर ले जाएंगे.

दिल्ली में समय पूरा कर चुकी जब्त गाड़ियों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रतीक जालान ने कहा कि दिल्ली सरकार को इन गाड़ियों से निपटने के लिए एक एक नीति बनानी चाहिए, क्योंकि गाड़ी मालिक ये वचन देने के लिए तैयार हैं कि वे इनका इस्तेमाल यहां नहीं करेंगे. कोर्ट ने आगे कहा कि सरकार को इस संबंध में नीति बनाकर उसका सही तरीके से प्रचार करना चाहिए. नीति का मकसद करों को स्क्रैप करना नहीं बल्कि दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करना हो. ऐसा करते समय संपत्ति के इस्तेमाल के अधिकार और पर्यावरणीय हितों के बीच संतुलन बनाए रखा जाना चाहिए.

हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया कि परिवहन विभाग को दी जाने वाली अंडरटेकिंग में कहा जाएगा कि गाड़ियों को खींचकर या उठाकर दिल्ली की सीमा तक ले जाया जाएगा. अगर गाड़ी दिल्ली में पंजीकृत है तो गाड़ी मालिक उसे शहर से बाहर पंजीकृत कराने के लिए एनओसी की भी मांग कर सकता है. न्यायमूर्ति जालान ने आदेश में यह भी कहा कि अगर गाड़ी मालिक अंडरटेकिंग का उल्लंघन करते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी. याचिकाकर्ताओं में से एक ने कोर्ट में दलील दी थी कि उनकी एक गाड़ी जिसके साथ उनकी गहरी भावनाएं जुड़ी हैं उसे परिवहन विभाग ने बिना किसी सूचना के जब्त कर लिया था. उस वक्त गाड़ी उनके घर के बाहर पार्क थी.

एडवोकेट पीयूष शर्मा और आदित्य एन प्रसाद के माध्यम से एक अन्य याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि वर्ष 2000 में खरीदी गई अपनी कार को वो चला नहीं रहीं थीं, वे तो इसे इलेक्ट्रिक गाड़ी में बदलना चाहती थीं. एक अन्य व्यक्ति ने अपनी 12 साल पुरानी डीजल कार को जब्त करने को भी चुनौती दी, जिसे डेटिंग, पेंटिंग और अन्य मरम्मत का काम कराने के लिए पार्क किया गया था. जिससे उसे दूसरे राज्य में बेचा जा सके. बता दें कि इससे पहले दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने विभाग के सचिव व परिवहन आयुक्त को पुरानी गाड़ियों को जब्त करने से रोकने का निर्देश दिया था.

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