नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने यमन में मौत की सजा पा चुकी केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मां को ब्लड मनी का हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि वह इस बात का हलफनामा दाखिल करे कि यमन की कोर्ट ने उसे मृत यमनी नागरिक के परिवार से ब्लड मनी देकर समझौते का विकल्प दिया है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने निमिषा प्रिया की मां को निर्देश दिया कि वह 12 दिसंबर तक ये हलफनामा दाखिल करें. मामले की सुनवाई 12 दिसंबर को होगी.
सुनवाई के दौरान निमिषा प्रिया की मां की ओर से पेश वकील सुभाष चंद्रन ने कहा कि यमन में शरिया का कानून चलता है और इस कानून में ब्लड मनी का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि यमन की सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर को निमिषा प्रिया को फांसी से बचने का अंतिम अवसर देते हुए कहा कि वह मृतक के परिजनों को ब्लड मनी देकर समझौता करे. उसके बाद कोर्ट ने निमिषा प्रिया को 12 दिसंबर तक इस संबंध में हलफनामा देने को कहा कि यमन की सुप्रीम कोर्ट ने उसे ब्लड मनी देकर समझौते का विकल्प दिया है.
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बता दें कि 5 दिसंबर को निमिषा प्रिया की मां ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर कर बताया कि तीन लोग जो पहले से यमन में अपना व्यवसाय करते हैं और उसके साथ यमन जाने को सहमत हैं. निमिषा प्रिया की मां ने जिन लोगों के बारे में हलफनामा में सूचना दी है उनमें कुन्हाम्मद नादुविलाक्कांडी, सैमुअल जेरोम भास्करन और के संजीव कुमार शामिल हैं.
कुन्हाम्मद पिछले 30 वर्षों से मध्य-पूर्व में व्यवसाय करते हैं. वे यमन की स्थानीय भाषा और अरबी बोल व समझ सकते हैं. सैमुअल जेरोम भास्करन यमन में वैध पासपोर्ट के आधार पर पिछले 24 सालों से काम कर रहे हैं. भास्करन फिलहाल फेलिक्स एयरवेज के सीईओ हैं. वहीं के संजीव कुमार यमन में पिछले 10 सालों से कार्य कर रहे हैं. संजीव ने निमिषा प्रिया की मां के साथ यमन जाने को सहमति जताई है.
दरअसल 4 दिसंबर को हाईकोर्ट ने निमिषा प्रिया की मां को निर्देश दिया था कि वह हलफनामा दाखिल कर बताएं कि उनके साथ यमन कौन-कौन जाना चाहता है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वह निमिषा प्रिया को यमन जाने की इजाजत नहीं दे सकती है क्योंकि यमन में भारतीय दूतावास बंद हो चुका है. केंद्र सरकार ने कहा था कि मध्य-पूर्व की स्थिति नाजुक है और कुछ भी अनहोनी होने पर भारत सरकार मदद करने की स्थिति में नहीं है.