नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बंधुआ बाल मजदूरों को मुक्त कराने के तुरंत बाद वित्तीय सहायता और उनकी बकाया मजदूरी के भुगतान की प्रक्रिया शुरू करने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसके लिए दिशा-निर्देश भी जारी किया है.
हाईकोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि जैसे ही मुक्त कराये गए बाल श्रमिक बाल सुधार गृह या दिल्ली सरकार की देखरेख में आता है तो उस बच्चे और बाल सुधार गृह के अधीक्षक या इंचार्ज का संयुक्त बैंक खाता खुलवाया जाए. बाल सुधार गृह के अधीक्षक या इंचार्ज अस्थायी अभिभावक होंगे. बैंक खाते पर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी का पता होगा. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर मुक्त कराए गए बाल श्रमिक के माता-पिता या अभिभावक का पता चलता है तो उसका वेरिफिकेशन कर एक हफ्ते के अंदर सरकार बच्चे को दी गई वित्तीय सहायता राशि अभिभावक को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रांसफर करें.
कोर्ट ने कहा कि बाल श्रमिकों के मुक्त कराने के दो दिनों के अंदर दिल्ली सरकार का श्रम विभाग मजदूरी के भुगतान के लिए रिकवरी नोटिस जारी करेगा. रिकवरी प्रक्रिया के दौरान न्यूनतम वेतन अधिनियम और वेतन भुगतान अधिनियम के तहत इंस्पेक्टर नियोक्ता या मालिक को दो हफ्ते में बकाया मजदूरी जमा करने का आदेश देंगे. अगर नियोक्ता या मालिक दो हफ्ते के अंदर बकाया मजदूरी का भुगतान नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट जारी होगा. जिसके आधार पर संबंधित एसडीएम भू-राजस्व के रुप में वसूली करेंगे. बकाया वेतन की वसूली बंधुआ श्रमिक या उसके अभिभावक को तुरंत दी जाएगी.