दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

डीके शिवकुमार की याचिका पर ED को दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस - DK Shivakumar plea

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार (Karnataka Congress President DK Shivakumar) की उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Nov 2, 2022, 3:58 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार (Karnataka Congress President DK Shivakumar) की उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच को चुनौती देने वाली याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया है. न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने ईडी को याचिका पर जवाब देने के लिए 15 दिसंबर तक का समय दिया है.

हालांकि, अदालत ने शिवकुमार के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने का कोई आदेश पारित नहीं किया है. शिवकुमार ने यह तर्क देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया कि ईडी उसी अपराध की फिर से जांच कर रहा है जिसकी उसने 2018 में उनके खिलाफ दर्ज मामले में पहले ही जांच कर चुका है.

याचिका में कहा गया है कि 2018 में आरोप लगाया गया था कि शिवकुमार ने कर्नाटक राज्य में मंत्री और विधायक के रूप में काम करने की अवधि के दौरान अर्जित अवैध धन को लूटने की साजिश रची थी. तर्क दिया कि 2013 से 2018 की अवधि के दौरान आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की गई. यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पीएमएलए अपराध के तहत दोनों मामले समान हैं.

ये भी पढ़ें : दिल्ली और केंद्र सरकार के साथ बैठक कर निकालेगा कर्ज वापस करने का रास्ता : डीएमआरसी

ईडी ने याचिकाकर्ता की हिरासत की मांग मुख्य रूप से याचिकाकर्ता की संपत्ति में वृद्धि से संबंधित मुद्दे की जांच के लिए की थी, जब उन्होंने राज्य में मंत्री और विधायक के रूप में कार्य किया था. याचिका में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (संशोधन) एक्ट, 2009 की धारा 13 को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें पीएमएलए के तहत अपराध की सूची में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 13 शामिल थी.

पीसी अधिनियम की धारा 13 एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार से संबंधित है. यह एक लोक सेवक को अपने सार्वजनिक कार्यालय का उपयोग करके, संपत्ति का दुरुपयोग करने या आय के ज्ञात स्रोतों से अलग संपत्ति के मालिक होने के लिए दंडित करता है.

संशोधन प्रभावी रूप से यह प्रावधान करता है कि जिस आरोपी पर पीसी अधिनियम की धारा 13 के तहत अपराध करने का आरोप है, उसकी भी पीएमएलए की धारा 3 (मनी लॉन्ड्रिंग) के तहत जांच की जा सकती है.

शिवकुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि पीसी अधिनियम की धारा 13 एक बहुत ही आकर्षक सवाल उठाती है, क्योंकि एक बार यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि संपत्ति आय से अधिक संपत्ति है, तो मनी लॉन्ड्रिंग नहीं हो सकती है. "एक बार, अपराध में यह पता चला है कि अवैध साधनों से प्राप्त धन को आय से अधिक संपत्ति में खर्च किया गया है, धन शोधन का कोई और अपराध नहीं बनाया जा सकता. कोर्ट इस मामले में 15 दिसंबर को सुनवाई करेगा.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

ABOUT THE AUTHOR

...view details