नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक लगाने वाले आदेश को लागू नहीं करने पर दिल्ली के मुख्य सचिव और आईसीएमआर के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर आज सुनवाई करेगा. जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच सुनवाई करेगी.
7 सितंबर को हाईकोर्ट ने ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स की मानीटरिंग नहीं करने पर आईसीएमआर को चेतावनी दी थी. कोर्ट ने कहा था कि आईसीएमआर को निजी पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी की शिकायतों को देखना चाहिए. आईसीएमआर चाहे तो कानून का उल्लंघन करने वाले लेबोरेटरीज का लाइसेंस निरस्त कर सकता है.
आईसीएमआर ही लेबोरेटरी को लाईसेंस देती है. दरअसल आईसीएमआर ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि ऑनलाइन पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी पर नियंत्रण करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. निजी लेबोरेटरी को एनएबीएल ही सर्टिफिकेट जारी करती है. कोरोना के टेस्टिंग लेबोरेटरी की स्थापना के लिए उसने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर जारी किए हैं. इनके लिए देश भर में 14 मेंटर इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई है.
दिल्ली के लेबोरेटरीज के लिए एम्स अस्पताल को मेंटर इंस्टीट्यूट बनाया गया है. आईसीएमआर ने कहा कि 16 अगस्त को उसने दिल्ली में 35 सरकारी और 99 निजी लेबोरेटरी को मान्यता दी है. ये लेबोरेटरी आरटी-पीसीआर, ट्रूनैट, सीबीएनएएटी और एम-नैट का टेस्ट कर सकते हैं.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा कि सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार के बड़े अधिकारी इन अवैध आनलाइन पैथोलॉजिकल लेबोरेटरीज के संचालने के लिए बराबर के जिम्मेदार हैं. ये लेबोरेटरीज खुलेआम अपना विज्ञापन जारी करते हैं. वे एसएमएस और ई-मेल के जरिये अपना प्रचार कर रहे हैं.