नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ हेट स्पीच को लेकर सीपीएम नेता वृंदा करात की एफआईआर दर्ज करने के लिए दायर याचिका खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा. इस मामले में जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच सुनवाई करेगी.
8 अक्टूबर 2020 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि यह क्षेत्राधिकार का मसला है. ट्रायल कोर्ट ने धारा 397 का हवाला दिया है जिसका मतलब केस खारिज होना नहीं है. ये मामला महीनों तक लंबित रहा, तब जस्टिस खन्ना ने कहा था कि आप जानते हैं कि मजिस्ट्रेट के समक्ष हजारों केस लंबित है.
क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज किया
सिद्धार्थ अग्रवाल ने प्रभु चावला के केस का हवाला देते हुए कहा था कि धारा 482 के तहत हाईकोर्ट के पास आंतरिक शक्ति है. उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के विक्रम बख्शी बनाम दिल्ली राज्य के फैसले का उदाहरण दिया. अग्रवाल ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने धारा 156(3) के तहत याचिका दायर की थी. ट्रायल कोर्ट ने केस की मेरिट पर गौर किए बिना हमें क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज कर दिया, ऐसा कर ट्रायल कोर्ट ने गलती की.
हाईकोर्ट ने फैसलों की प्रति दायर करने का निर्देश
दिल्ली पुलिस की ओर से वकील ऋचा कपूर ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जो सवाल उठाए हैं, वे सेशंस कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर कर भी कहा जा सकता है. उन्होंने कहा था कि वो इस मामले पर फैसलों की प्रति और याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं इस पर दलीलें रखेंगी. उसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को फैसलों की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया था.
बिना पूर्व अनुमति के लोकसेवक पर एफआईआर दर्ज नहीं
26 अगस्त 202 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने वृंदा करात की याचिका खारिज कर दी थी. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा ने कहा था कि इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से जरुरी अनुमति नहीं ली गई है. इसलिए एफआईआर दर्ज करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है.