नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने फ्लैट खरीददारों के साथ धोखाधड़ी के आरोप में जेल में बंद नोएडा के ग्रैंड आशियाना प्रोजेक्ट के प्रमोटर संजय चौधरी और मनोज चौधरी को जमानत दे दिया है. जस्टिस विभू बाखरु की बेंच ने दोनों आरोपियों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया.
आशियाना प्रोजेक्ट के दो प्रमोटर को मिली जमानत हाईकोर्ट ने दोनों प्रमोटर को निर्देश दिया कि वे जमानत से रिहा होने के बाद 31 मार्च 2021 तक प्रोजेक्ट के पहले चरण को पूरा कर लेंगे. कोर्ट ने कहा कि दोनों प्रमोटर प्रोजेक्ट के दूसरे चरण को 30 अगस्त 2021 तक पूरा करें. कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों आरोपी प्रमोटर एक एस्क्रो अकाउंट खोलेंगे और उसमें सात करोड़ रुपये जमा करेंगे. इस सात करोड़ में से तीन करोड़ रुपये रिहा होने के चार हफ्ते के अंदर जमा करने होंगे. उसके बाद अगले चार हफ्ते में दो करोड़ रुपये और जमा करने होंगे. बाकी के दो करोड़ रुपये उसके बाद के चार हफ्ते में जमा करने होंगे.
एस्क्रो अकाउंट के लिए रखे नियम
कोर्ट ने कहा कि एस्क्रो अकाउंट में जमा रकम का इस्तेमाल केवल प्रोजेक्ट को पूरा करने में किया जाएगा और उसे किसी काम में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. एस्क्रो अकाउंट से पैसा निकालने के पहले ट्रायल कोर्ट और जांच एजेंसी को सूचना देनी होगी. कोर्ट ने कहा कि उस एस्क्रो अकाउंट का एक हस्ताक्षरकर्ता ग्रीन एवेन्यू सोशल वेलफेयर सोसायटी के होमबायर्स एसोसिएशन का अध्यक्ष होगा.
नोएडा में है ग्रैंड आशियाना प्रोजेक्ट
दरअसल जेकेबी डेवलपर्स लिमिटेड नामक कंपनी ने नोएडा में अपने प्रोजेक्ट ग्रैंड आशियाना में तीन चरणों में नौ सौ से ज्यादा फ्लैट बनाने की शुरुआत की थी. ग्रैंड आशियाना का नाम बाद में बदलकर ग्रीन एवेन्यू कर दिया गया. कंपनी के प्रमोटर्स पर आरोप है कि उन्होंने फ्लैट बायर्स के साथ धोखाधड़ी की. पहले दो चरणों में 335 से फ्लैट बनाए जाने थे. फ्लैट को बेचने के नाम पर कंपनी के प्रमोटर्स ने फ्लैट बायर्स से काफी पैसा वसूला लेकिन प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया. फ्लैट बायर्स का आरोप है कि कंपनी के प्रमोटर्स ने उनका पैसा कहीं और लगा दिया.
'प्रमोटर्स ने वादे पूरे नहीं किए'
फ्लैट बायर्स का आरोप है कि फ्लैट की बुकिंग करते समय ये कहा गया कि प्रोजेक्ट के लिए सभी मंजूरी ले ली गई है, लेकिन बाद में पता चला कि कोई मंजूरी नहीं ली गई है. प्रोजेक्ट की लीज को लेकर भी विवाद है. फ्लैट बायर्स की ओर से कहा गया कि कई आश्वासन देने के बावजूद प्रमोटर्स ने अपना वादा पूरा नहीं किया. अभी भी पिछले तीन सालों से प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ है. कुछ फ्लैट बायर्स का कहना था कि कंपनी ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास वार्षिक लेखा-जोखा भी दाखिल नहीं किया, जिसकी वजह से कंपनी को हटा दिया गया है.
प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए रिहाई जरूरी
दोनों प्रमोटर्स की ओर से वकील प्रमोद कुमार दुबे ने कहा कि कुछ टावर 90 फीसदी पूरे हो चुके हैं. कुछ फ्लैट पूरे भी हो चुके हैं. प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए दोनों प्रमोटर्स की रिहाई जरूरी है. उन्होंने कहा कि अगर प्रमोटर्स को रिहा किया गया तो 325 फ्लैट 31 मार्च 2021 तक पूरे कर लिए जाएंगे और दूसरे चरण के फ्लैट का काम 31 अगस्त 2021 तक पूरे हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि दोनों प्रमोटर्स पिछले 10 महीने से जेल में बंद हैं जिसकी वजह से प्रोजेक्ट का कोई काम शुरु नहीं किया जा रहा है.