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नॉर्थ एमसीडी अस्पतालों के नर्सिंग स्टाफ की सैलरी देने की मांग पर टली सुनवाई - नॉर्थ एमसीडी अस्पताल सैलरी विवाद

दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों और डिस्पेंसरीज में काम करनेवाले नर्सिंग स्टाफ की सैलरी देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. वहीं अब इस मामले की सुनवाई 6 नवंबर को होगी.

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दिल्ली हाईकोर्ट

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Published : Nov 4, 2020, 8:34 PM IST

नई दिल्लीः उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों और डिस्पेंसरीज में काम करनेवाले नर्सिंग स्टाफ की सैलरी देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई टाल दिया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट में आज चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका को जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच के पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया. मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी.

नॉर्थ एमसीडी अस्पतालों के नर्सिंग स्टाफ की सैलरी देने की मांग पर सुनवाई टली

'जून महीने से सैलरी नहीं दी गई'

याचिका दिल्ली नर्सेज यूनियन ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि राजन बाबू इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन एंड ट्यूबरकुलोसिस के नर्सिंग स्टाफ को पिछले जून महीने से सैलरी नहीं दी गई है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील तरुण शर्मा ने कहा कि नर्सिंग स्टाफ को केंद्रीय वेतनमान के मुताबिक बोनस, महंगाई भत्ता, एलटीसी का भुगतान पिछले जनवरी 2016 से नहीं किया गया है.

'कोरोना वॉरियर्स के तौर पर काम कर रहे नर्सिंग स्टाफ'

याचिका में कहा गया है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधीन चलनेवाले विभिन्न अस्पतालों, डिस्पेंसरी, पॉलीक्लिनिक में अपनी सेवाएं देनेवाले नर्सिंग स्टाफ इन दिनों कोरोना के नियंत्रण के काम में लगे हुए हैं. पिछले मार्च महीने से सभी नर्सिंग स्टाफ को कोरोना के नियंत्रण में कोरोना वॉरियर्स के तौर पर लगाया गया है. लेकिन उन्हें पिछले जून महीने से सैलरी नहीं दी गई है. इसके लिए याचिकाकर्ता ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को पिछले 7 अक्टूबर को अपना प्रतिवेदन भी दिया था. लेकिन उन्हें अब तक सैलरी का कोई भुगतान नहीं किया गया.

'संविधान की धारा 21 का उल्लंघन'

याचिका में कहा गया है कि नर्सिंग स्टाफ हर महीने सैलरी और भत्तों के भुगतान के लिए कानूनी रूप से हकदार है. संविधान की धारा 21 उत्तरी दिल्ली नगर निगम को इस बात के लिए बाध्य करती है कि विभिन्न अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में काम करनेवाले नर्सिंग स्टाफ को समय पर वेतन दिया जाए. ऐसा नहीं करना नर्सिंग स्टाफ की स्वतंत्रता और गरिमा से जीने के अधिकार का उल्लंघन है.

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