नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच को निर्देश दिया है कि वो सिविल लाइंस स्थित भारतीय मूल के ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी की पैतृक संपत्ति के बाजार मूल्य का नए सिरे से आकलन करें. जस्टिस विभू बाखरु की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया.
डिवीजन बेंच ने 2019 के सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त करते हुए 2012 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 11 दिसंबर को जारी निर्देशों के अनुसार संपत्ति का मूल्यांकन नए सिरे से करने का आदेश दिया. साथ ही बेंच ने उसी सिंगल बेंच को रश्दी की संपत्ति का नए सिरे से मूल्यांकन करने के लिए वापस भेज दिया. तब सिंगल बेंच ने 2019 में संपत्ति का मूल्यांकन 130 करोड़ रुपए किया था. बता दें कि 5373 वर्ग गज की यह संपत्ति सिविल लाइंस फ्लैगस्टाफ रोड स्थित बंगला नंबर चार है.
दरअसल सलमान रुश्दी के पिता अनीस अहमद रश्दी ने 1970 में इस संपत्ति को बेचने के लिए कांग्रेस नेता भीखू राम से करार किया था. ये करार तीन लाख 75 हजार रुपए में बेचने के लिए किया गया था. तब भीखू राम ने इस करार के तहत पचास हजार रुपए एडवांस दिए थे और बाकी रकम बाद में देने का करार किया था. लेकिन ये करार पूरा नहीं हो पाया और दोनों पक्ष कानूनी लड़ाई में उलझ गए.
इसके बाद भीखू राम ने 1977 में ट्रायल कोर्ट में अर्जी दाखिल कर करार को पूरा करने की मांग की थी. 1983 में ट्रायल कोर्ट ने भीखू राम के पक्ष में फैसला सुनाया और भीखू राम को निर्देश दिया कि वो रजिस्ट्री के समय बाकी रकम दे दें. ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ रश्दी ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि कांग्रेस नेता संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए बाध्य नहीं कर सकते. हाईकोर्ट ने रश्दी को निर्देश दिया कि वो एडवांस में ली गई पचास हजार रुपए भीखू राम को लौटा दें.
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वहीं, हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ भीखू राम के बेटों नरेंद्र कुमार जैन और अरविंद कुमार जैन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिसंबर 2012 को फैसले में कहा कि भीखू राम के पक्ष में बाजार मूल्य के अनुरूप रजिस्ट्री की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हाईकोर्ट वापस भेजते हुए कहा कि रश्दी की संपत्ति का बाजार मूल्य का आकलन किया जाए। हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने रश्दी की संपत्ति का आकलन 130 करोड़ रुपए किया. सिंगल बेंच के इस आदेश को जैन बंधुओं ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी, जिसके बाद डिवीजन बेंच ने ये आदेश दिया है.
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