नई दिल्ली: दिल्ली दंगा मामले में आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका को खारिज (Umar Khalid Bail Dismissed) करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने यह माना कि दिल्ली दंगे (Delhi Violece) के दौरान योजनाबद्ध तरीके से दहशत और असुरक्षा की भावना फैलाया गया. जमानत याचिका पर फैसले के दौरान कोर्ट ने अपने आदेश में कई अहम बिंदुओं का उल्लेख किया. दिल्ली हाईकोर्ट (High Court On Delhi Violece) की तरफ से की गई टिप्पणी आगे आने वाले यूएपीए और दंगों के मामले में नजीर के तौर पर सामने आएगी.
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और रजनीश भटनागर की पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा कि यह राजनीतिक संस्कृति या लोकतांत्रिक विरोध नहीं था, बल्कि आतंकवादी गतिविधि थी. पहले से तय योजना के मुताबिक उत्तर-पूर्वी दिल्ली में रहने वाले लोगों की आवश्यक सेवाओं को बाधित करने और असुविधा पैदा करने के लिए जानबूझकर सड़कों को अवरुद्ध किया गया था. जिससे दहशत और असुरक्षा की भावना पैदा हुई.
हाईकोर्ट ने कहा कि महिला प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस कर्मियों पर हमला किया गया. पुलिस का पीछा करना और लोगों को दंगे में शामिल करना पूर्व नियोजित योजना का हिस्सा है. यह प्रथम दृष्टया आतंकवादी कृत्य प्रतीत होता है. हाईकोर्ट ने कहा कि खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगों तक आया है. दंगे में इस्तेमाल किए गए हथियारों और हमले के तरीके और हिंसा से हुई मौतों से यह स्पष्ट होता है कि यह पूर्व नियोजित था.