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एंटीजन पर कांग्रेस का सवाल, सरकार ने कहा टेस्टिंग नहीं, मरीजों की संख्या देखिए

दिल्ली सरकार द्वारा कराई जा रही कोरोना टेस्टिंग में रैपिड एंटीजन माध्यम की बढ़ती संख्या को लेकर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के सामने जब यह सवाल रखा गया, तो उन्होंने कुछ यूं जवाब दिया.

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एंटीजन टेस्टिंग पर रार

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Published : Jul 26, 2020, 10:14 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण की दर लगातार घटती जा रही है. हर दिन करीब 20 हजार टेस्ट में से हर के करीब मामले ही सामने आ रहे हैं. लेकिन जिन टेस्टों के जरिए दिल्ली में कोरोना की अच्छी स्थिति दर्शाते, उन टेस्टों पर विपक्ष सवाल उठा रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया.

विपक्ष के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का जवाब

बड़ी संख्या में रैपिड टेस्ट

दिल्ली सरकार द्वारा कराई जा रही कोरोना टेस्टिंग में बीते कुछ दिनों से रैपिड एंटीजन माध्यम की संख्या बढ़ी है. हर दिन आरटीपीसीआर की तुलना में करीब दो गुने टेस्ट रैपिड एंटीजन द्वारा किए जा रहे हैं. इसी से जुड़े कुछ आंकड़े सामने रखते हुए दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा था कि आरटीपीसीआर टेस्ट का पॉजिटिविटी रेट 36 फीसदी से ज्यादा है, जबकि एंटीजन टेस्ट का पॉजीटिविटी रेट करीब 6 फीसदी है.

कांग्रेस ने उठाए सवाल

कांग्रेस नेता ने एंटीजन टेस्ट में नेगेटिव आई किसी व्यक्ति का स्लिप भी दिखाया था और कहा था कि एंटीजन में नेगेटिव आने पर सिम्पटम होने के बाद ही आरटीपीसीआर टेस्ट कराया जाता है. अभी जबकि ज्यादातर कोरोना मामले बिना लक्षण वाले हैं, ऐसे में एंटीजन से नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद लोगों को निश्चिंत हो जाना, खतरनाक साबित हो सकता है. इस सवाल को आज हमने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के सामने रखा.

तुरंत होता है आरटीपीसीआर

सत्येंद्र जैन का कहना था कि रैपिड टेस्ट में जो पॉजिटिव आते हैं, वो कन्फर्म पॉजिटिव होते हैं, उनमें कोई फॉल्स पॉजिटिव नहीं होता. वहीं जो नेगेटिव आते हैं, उनमें से लक्षण वालों का तुरंत ही आरटीपीसीआर टेस्ट कराया जाता है. यह पूछने पर कि अभी जबकि ज्यादातर कोरोना मामले बिना लक्षण के हैं, ऐसे में बिना लक्षण वाले नेगेटिव मामलों में आरटीपीसीआर नहीं कराया जाना, क्या खतरनाक नहीं हो सकता. इसपर सत्येंद्र जैन का कहना था कि ये ज्यादा वैज्ञानिक मामला है.

आरटीपीसीआर पर भी सवाल

ऐसा देखें, तो आरटीपीसीआर में भी कुछ लोग छूट जाते हैं, यानी 100 फीसदी सही रिपोर्ट नहीं आ पाती. सत्येंद्र जैन ने कहा कि स्थिति के सही आंकलन के लिए अस्पतालों में भर्ती हो रहे मरीजों की संख्या पर गौर करना चाहिए, जो कि लगातार कम हो रही है.

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