नई दिल्ल:दिल्ली सरकार ने कहा है कि वो दिशानिर्देश जारी करते समय याचिकाकर्ता की इस बात पर गौर करेगा कि शैक्षणिक सत्र 2021-22 के दौरान स्कूलों में नर्सरी में दाखिला नहीं दिया जाए. दिल्ली सरकार की इस दलील के बाद हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर दिया.
नर्सरी में दाखिले पर रोक की थी मांग
सुनवाई के दौरान जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने कहा कि हम याचिका की मेरिट पर गौर किए बिना याचिका का निस्तारण कर रहे हैं. याचिका रजत वत्स ने दायर की थी. याचिका में मांग की गई थी कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को निर्देश जारी किया जाए कि वे स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए नर्सरी में दाखिला ना देने का आदेश जारी करें. याचिका में कहा गया था कि नर्सरी में दाखिला इसलिए किया जाता है कि छोटे-छोटे बच्चे प्ले स्कूल की तरह के माहौल में पढ़ाई कर सकें। इस दौरान वे स्कूल के माहौल से परिचित होते हैं.
संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन
याचिका में कहा गया था कि प्ले स्कूल की तरह का माहौल कोरोना काल में संभव नहीं है क्योंकि इसके लिए स्कूल जाने की जरुरत होगी, लेकिन अभी स्कूल जाने पर रोक लगाई गई है और क्लासेज लगातार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हो रही है. ऐसे हालात में उन बच्चों को नर्सरी में दाखिला देने का कोई मतलब नहीं होता. नर्सरी के छोटे बच्चों को आनलाइन क्लास के जरिये शिक्षा देना अभिभावकों और बच्चों को संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन है.
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पहले भी दायर कर चुके याचिका
बता दें कि याचिकाकर्ता रजत वत्स इसके पहले भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कहा था कि निजी स्कूलों की ओर से लॉकडाउन के दौरान की फीस लेने पर रोक लगाई जाए. याचिका में कहा गया था कि स्कूलों की ओर से ट्रांसपोर्ट चार्ज, दूसरी गतिविधियों के अलावा दूसरी फीसें ली जाती हैं. 20 अप्रैल 2020 को हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को निस्तारित करते हुए कहा था कि वे अपनी शिकायत दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय से कर सकते हैं.