नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने कहा है कि आगामी त्योहोरों और कोरोना के नए स्ट्रेन को देखते हुए हम कह सकते हैं कि अभी भी खतरा बरकरार है. इसलिए निजी अस्पतालों को अभी अपने यहां कम से कम 40 फीसदी आईसीयू बेड आरक्षित रखने के लिए कहा जाना जरूरी है. हाईकोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 19 जनवरी को करेगा.
आरक्षण 80 फीसदी से घटाकर किया गया 60 फीसदी
जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह 19 जनवरी तक स्थिति पर अपनी समीक्षा रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करें. 28 दिसंबर 2020 को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने 26 दिसंबर 2020 को हुई बैठक का स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया था. दिल्ली सरकार ने कहा था कि सरकार आईसीयू बेड का आरक्षण 80 फीसदी से 60 फीसदी करने के फैसले की समीक्षा करेगी. 24 दिसंबर 2020 को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि विशेषज्ञ कमेटी ने 33 निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के लिए आईसीयू बेड में आरक्षण 80 फीसदी से घटाकर 60 फीसदी करने का फैसला किया है.
कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण
पहले की सुनवाई के दौरान अस्पतालों की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से कहा था कि आप कभी भी जहांगीरी फरमान जारी कर देते हैं. उन्होंने कहा था कि कोर्ट इस मामले में दो बार सुनवाई स्थगित की है. दिल्ली सरकार हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर सुनवाई टालना चाहती है. मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि आप खुद का इंफ्रास्ट्रक्चर क्यों नहीं मजबूत कर रहे हैं. आप कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि इस पर जल्द फैसला हो. क्या ये दलील सही है कि मरीज निजी अस्पताल को प्राथमिकता देते हैं इसलिए वे राष्ट्रीयकरण जारी रखेंगे. मरीज सरकारी अस्पताल को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं. गैर-कोरोना मरीजों के लिए कोई बेड नहीं मिल रहा है.
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कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लगी रोक
सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिका दायर किया है. सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को फैसला करने को कहा. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगा दी थी.