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पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में दिल्ली सरकार: सिसोदिया

दिल्ली नगर निगम चुनाव के बीच दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Deputy Chief Minister Manish Sisodia) ने मंगलवार को पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने (bringing under GST) की मांग एक बार फिर से दोहराई. सिसोदिया ने केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी की बात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार आम लोगों को राहत देने के लिए इन्हें जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में है.

पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे लाने के पक्ष में दिल्ली सरकार: सिसोदिया
पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे लाने के पक्ष में दिल्ली सरकार: सिसोदिया

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Published : Nov 15, 2022, 6:14 PM IST

Updated : Nov 15, 2022, 10:13 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को एक बार फिर दोहराया है कि पेट्रोल और डीजल (petrol and diesel) को जीएसटी के दायरे में लाया जाए ताकि इससे आम लोगों को राहत मिले. उन्होंने कहा कि जीएसटी जब लागू हुआ था, तब से वह केंद्र सरकार से इसकी मांग कर रहे हैं. उनकी मांगें नहीं मानी गईं. आज एक बार फिर जब केंद्र सरकार इस संबंध में बात कर रही है तो दिल्ली सरकार पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार है.

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मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, केंद्र तैयार :पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को माल और सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के लिए तैयार है, लेकिन इस पर राज्यों के सहमत होने की संभावना कम है. हरदीप सिंह पुरी ने एक बयान में कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए राज्यों की सहमति जरूरी है और अगर राज्य इस दिशा में पहल करते हैं तो केंद्र भी इसके लिए तैयार है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हम पहले से ही इसके लिए तैयार रहे हैं. यह मेरी समझ है. हालांकि, दूसरा मुद्दा इसे लागू करने के तरीके का है. उस सवाल को वित्त मंत्री के सामने उठाया जाना चाहिए."

सिसोदिया पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में

केंद्रीय मंत्री के बयान पर सिसोदिया ने दी प्रतिक्रिया :केंद्रीय मंत्री के इसी बयान पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. बता दें कि जीएसटी लागू होने के बाद भी डीजल, शराब आदि पर वैट की दरें लागू हैं. सरकारें मानती हैं कि यह एक राजस्व बढ़ाने का तरीका है जिसे केंद्र और राज्य सरकारें बहुत आसान और व्यावहारिक मानती हैं. शराब, पेट्रोल और डीजल जैसी वस्तुओं पर कर बढ़ाना है, जो जीएसटी के दायरे में नहीं है. अतीत में कई राज्य सरकारों ने राजस्व जुटाने के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल किया है. डीजल को अगर जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा तो इसके मूल्य में 20 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आ जाएगी.

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Last Updated : Nov 15, 2022, 10:13 PM IST

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