नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने दिल्ली के अस्पतालों में बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मामलों को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने सवाल पूछा है कि आखिर क्या कारण है कि केजरीवाल सरकार द्वारा पिछले कुछ दिनों के दौरान ब्लैक फंगस बीमारी से 10 से अधिक मरीजों की मौत व संक्रमित की संख्या लागातार बढ़ने के बावजूद दिल्ली सरकार ने अभी तक क्यों नहीं डेडिकेटेड ब्लैक फंगस अस्पताल बनाए हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार से मांग की है कि निजी अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस का इलाज निशुल्क हो.
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विफल रही है सरकार
चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जिन 3 अस्पतालों को ब्लैक फंगस के इलाज के लिए उपलब्ध करने के आदेश दिए हैं, उनमें कोविड के मरीजों का इलाज भी हो रहा है. ऐसे में फंगस जनित संक्रमण को अन्य कोविड मरीजों में फैलने का खतरा है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली के 15 निजी अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चल रहा है. दिल्ली के अस्पतालों में 300 से अधिक मरीज इस बीमारी से संक्रमित हैं, जिनके लिए प्रत्येक मरीज को 100 से अधिक एम्फोटेरिन बी ड्रग्स के इंजेक्शन के हिसाब से 30,000 डोज इंजेक्शन की जरूरत है.
अभी दिल्ली सरकार के पास मात्र 2150 डोज उपलब्ध हैं, जो कि जरूरत से 93% कम है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार बेड, ऑक्सीजन, दवाइयां जैसे हर मोर्चे पर कोरोना महामारी के दौरान विफल रही. ब्लैक फंगस के मामले में भी उसी को दोहराया जा रहा है.
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इंजेक्शन पर रोक लगाने के इरादे से बनाई है समिति
चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि ब्लैक फंगस संक्रमण को रोकने के लिए साफ-सफाई, स्वच्छ पौष्टिक खाना व सेनिटाइजेशन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मरीजों के इलाज के लिए कई विभागों के डॉक्टर और विशेष ट्रेनिंग की जरूरत होती है. कई अस्पतालों में मरीजों के होने की वजह से इसे सुनिश्चित करने में कठिनाई हो रही है. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार, ब्लैक फंगस संक्रमण का खतरा घटिया ऑक्सीजन की सप्लाई व इलाज के दौरान बरती गई लापरवाही, जिनमें गलत तरीके से स्टेरॉइड का इस्तेमाल शामिल है, उसकी वजह से हुई है.
चौधरी अनिल कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने डॉक्टरों के नेतृत्व में 4 सदस्यों की एक समिति बनाई है, जिसे अस्पतालों के द्वारा इंजेक्शन की मांग पर रोक लगाने के मकसद से बनाया गया है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल को अस्पतालों को इंजेक्शन मुहैया कराने का काम करना चाहिए. अस्पतालों के द्वारा मरीजों को इंजेक्शन लगाने की जरूरत को समिति के माध्यम से दबाया जा रहा ताकि इंजेक्शन की कमी को छिपाया जा सके.