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नए प्रधानमंत्री आवास के निर्माण में बाधक 173 पेड़ों के प्रत्यारोपण को दिल्ली सरकार ने दी मंजूरी

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Published : Feb 15, 2023, 6:41 PM IST

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रहे प्रधानमंत्री के नए आवास के निर्माण में बाधक बने 173 पेड़ों के प्रत्यारोपण को दिल्ली सरकार ने मंजूरी दे दी है.

Tree plantation pmo delhi government
Tree plantation pmo delhi government

नई दिल्ली: दिल्ली में संसद भवन के समीप सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (नए संसद भवन) के तहत बन रहे प्रधानमंत्री आवास और सचिवालय के निमार्ण में बड़ी बाधा दूर हो गई है. यहां निर्माण कार्य में बाधक बन रहे 173 पेड़ों को प्रत्यारोपित और काटने की अनुमति केजरीवाल सरकार ने दे दी है.

दिल्ली के अतिसुरक्षित क्षेत्र में शामिल राष्ट्रपति भवन और साउथ ब्लॉक के समीप प्लॉट संख्या 36-38 पर प्रधानमंत्री के लिए नए आवास का निर्माण जारी है. इसके निर्माण में योजना के मुताबिक, बाधक बन रहे 173 पेड़ों को प्रत्यारोपित करने की अनुमति केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने दिल्ली सरकार से मांगी थी. दिल्ली सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन पेड़ों को प्रत्यारोपित करने की मंजूरी दी जा रही है, लेकिन इसके बदले 10 गुना अधिक पेड़ लगाने होंगे. सीपीडब्ल्यूडी (सेंट्रल पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट) 7 सालों तक पेड़ों के रख-रखाव की जिम्मेदारी भी लेगा. दिल्ली सरकार द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार, पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण के बदले दिल्ली की मिट्टी और जलवायु के अनुकूल विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे. इनमें नीम, अमलतास, पीपल, गूलर, बरगद, देसी कीकर और अर्जुन आदि प्रजाति के पौधे शामिल हैं. गैर वन भूमि पर 6-8 फीट ऊंचाई के पौधे को लगाए जाएंगे.

रायसीना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन, साउथ और नॉर्थ ब्लॉक के समीप नए संसद भवन का निर्माण हो रहा है. उसी के नजदीक प्रधानमंत्री के नए आवास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिवालय का भी निर्माण होना है. इस पर तकरीबन 1200 करोड़ रुपये खर्च होंगे. बता दें, इसी महीने की शुरुआत में दिल्ली सरकार ने दिल्ली कैंट में नया सेना भवन बनाने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने निर्माण द्वारा साइट से 579 पेड़ों के प्रत्यारोपण और काटने की अनुमति मांगी थी, जिसे दिल्ली सरकार ने स्वीकृति दी थी. दिल्ली सरकार के वन विभाग ने नियमानुसार उन पेड़ों के बदले 5,790 पेड़ लगाने की शर्त पर प्रस्ताव को मंजूरी दी. इसके बाद भारतीय थल सेना के हाईटेक मुख्यालय बनने का रास्ता साफ हो गया है.

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