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Delhi Liquor Scam: सरकार का इनकम बढ़ाने का दावा कर आई पॉलिसी, अब बढ़ा रही केजरीवाल की मुश्किलें

नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार ने उपराज्यपाल के आदेश पर एक रिपोर्ट उपराज्यपाल कार्यालय को भेजी, जिसमें कहा गया कि नई एक्साइज पॉलिसी लागू करने में जीएनसीटी एक्ट 1991, ट्रांजैक्शन आफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 व दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का खुलेआम उल्लंघन किया गया है. नियमों में बदलाव करने से राज्य को 144 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है.

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Published : Mar 7, 2023, 5:56 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में राज्य सरकार के हक में शराब कारोबार को पूरी तरह निजी हाथों में सौंपने से लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी तक दिल्ली एक्साइज पॉलिसी ने खूब चर्चा बटोरी है. दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट पर हुई शिकायत के बाद दिल्ली की सियासत पूरी तरह से बदल गई है. दिल्ली एक्साइज पॉलिसी का मामला दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 से जुड़ा है.

दिल्ली सरकार 17 नवंबर 2021 से दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी लेकर आई. नई आबकारी नीति में शराब के कारोबार को पूरी तरह से निजी हाथों में सौंप दिया था. इसका मुख्य उद्देश्य था सरकार की आय को बढ़ाना और उपभोक्ताओं को सभी प्रकार के ब्रांड उपलब्ध कराना ताकि शराब की तस्करी पर रोक लगाई जा सके. नई शराब नीति में दिल्ली के प्रत्येक जोन में कुल 27 दुकानें खोले जा सकने की अनुमति दी गई थी, जबकि दिल्ली में कुल 32 जोन हैं. इस दौरान दिल्ली में कुल 849 दुकानें खोली गईं. सरकार ने राजस्व बढ़ाने का दावा किया था, लेकिन 31 जुलाई 2022 को कैबिनेट नोट जारी कर सरकार ने माना कि उसे घाटा उठाना पड़ा है.

सीबीआई ने इन लोगों को किया गिरफ्तारःजांच की बागडोर सबसे पहले सीबीआई ने संभाली और पहली गिरफ्तारी आम आदमी पार्टी के गुजरात के मीडिया प्रभारी रहे विजय नायर की हुई. सीबीआई ने उन्हें 27 सितंबर 2022 को गिरफ्तार किया. अगले ही दिन शराब कारोबारी समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया गया. अगली गिरफ्तारी 9 अक्टूबर 2022 को अभिषेक बोईंपल्ली की हुई, जबकि सीबीआई ने चौथी गिरफ्तारी 26 फरवरी 2023 को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के रूप में की. सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले सीबीआई ने तीन बार सिसोदिया को पूछताछ के लिए कार्यालय बुलाया, लेकिन सिसोदिया दो बार कार्यालय पहुंचे. इसके अलावा उनके दिल्ली स्थित आवास कार्यालय तथा उत्तर प्रदेश स्थित पैतृक निवास पर भी छापेमारी कर कंप्यूटर तथा अन्य उपकरण जब्त किए गए.

ईडी बनी सबसे बड़ी खिलाड़ी:प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री ने घोटाले पर कार्रवाई का स्वरूप बदल दिया है. जहां सीबीआई की 4 गिरफ्तारियों में से तीन आरोपियों को जमानत मिल चुकी है. वहीं, ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए 10 आरोपियों में से अभी तक किसी को जमानत नहीं मिली है. पीआर कंपनी चलाने वाले विजय नायर, शराब कारोबारी समीर महेंद्रू, चार्टर्ड अकाउंटेंट बुची बाबू, कारोबारी गौतम मल्होत्रा, अभिषेक बोइनपल्ली, विनय बाबू, शरथ रेड्डी और अमित अरोड़ा को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने राजेश जोशी और श्रीनिवासुलू रेड्डी के बेटे राघव मगुनता को भी गिरफ्तार किया है. मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय की एक टीम तिहाड़ जेल में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से पूछताछ के लिए पहुंची. अंदेशा है कि प्रवर्तन निदेशालय मनीष सिसोदिया को जेल से ही गिरफ्तार कर सकता है.

क्या था चीफ सेक्रेटरी का दावाःनई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार ने उपराज्यपाल के आदेश पर एक रिपोर्ट उपराज्यपाल कार्यालय को भेजी, जिसमें कहा गया कि नई एक्साइज पॉलिसी लागू करने में जीएनसीटी एक्ट 1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 व दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का खुलेआम उल्लंघन किया गया है. रिपोर्ट में दावा है कि टेंडर खुलने के साथ ही कुछ बड़े प्लेयर्स को गैर वाजिब लाभ देने के लिए प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया, नियमों में बदलाव किया गया. बदलाव करने से राज्य को 144 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है. यह रिपोर्ट ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस के रोल नंबर 57 के तहत चीफ सेक्रेटरी ने उपराज्यपाल को भेजी थी.

उपमुख्यमंत्री की जमानत पर कानूनी फंदाःकानून के जानकार बताते हैं कि अगर प्रवर्तन निदेशालय ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया तो ऐसे में उन्हें जमानत मिलनी थोड़ी मुश्किल हो जाएगी. क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय जिन नियमों के तहत काम करती है उनके आधार पर जमानत मिलना कठिन है. इससे पहले भी दो मामले सामने आए हैं, जहां आरोपियों को जमानत मिलने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. पहला मामला पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम से जुड़ा है, जहां उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी थी. वहीं, दूसरा मामला दिल्ली सरकार के ही तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन का है जिन्हें गिरफ्तारी के करीब 8 महीने बीत जाने के बावजूद जमानत नहीं मिल पाई है. सत्येंद्र जैन के खिलाफ कुल 4.8 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है, जिसमें जैन के साथ दो अन्य आरोपी भी शामिल हैं.

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