नई दिल्ली: मॉडर्न हो रहे इस जमाने में आज सभी के हाथ में मोबाइल फोन है. आज इसका असर छात्रों पर भी देखने को मिल रहा है. छात्र मोबाइल फोन लेकर स्कूल परिसर में आते हैं और मोबाइल फोन चलाते हैं. फोन का ऐसा चस्का उन्हें लगा है कि वह पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते. ऐसे में अब ऐसे छात्र सतर्क हो जाएं. खासतौर पर ऐसे अभिभावक जिनके बच्चे मोबाइल फोन लेकर स्कूल जाते हैं. अब अगर छात्र मोबाइल फोन लेकर स्कूल गए तो उनका फोन जमा कर लिया जाएगा. इस संबंध में शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता ने एक ऑर्डर जारी कर दिया है.
इस ऑर्डर में दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के नियम 43 के तहत स्कूल परिसर में मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है. ऑर्डर में कहा गया है कि मोबाइल फोन आज के जीवन में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले गैजेट में से एक है, चाहे वे छात्र हों, शिक्षक हों, पेशेवर हों या अन्य. सभी तेजी से इसका इस्तेमाल करते हैं. इसलिए हमारे लिए तकनीकी हस्तक्षेपों पर अत्यधिक निर्भरता पर विचार करना जरूरी है, जिसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से अवसाद, चिंता, सामाजिक अलगाव, अति-सक्रियता, अति-तनाव, नींद की कमी और कमजोर दृष्टि आदि उच्च स्तर पर हो सकते हैं. यह सीखने की प्रक्रिया में विकर्षण पैदा कर सकता है और शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रभाव डाल सकता है. जीवन संतुष्टि, आमने-सामने बातचीत की गुणवत्ता, कनेक्शन और निकटता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
इसके अलावा, तस्वीरें खींचना, रिकॉर्डिंग करना या अनुचित सामग्री अपलोड करना भी संभावित रूप से नकारात्मक हैं जो सामाजिक ताने-बाने के साथ-साथ बच्चे के भविष्य के लिए हानिकारक हैं. इसलिए, स्कूल परिसरों में मोबाइल फोन के उपयोग को निश्चित रूप से विनियमित करने की आवश्यकता है और इसलिए स्कूली शिक्षा से जुड़े सभी हितधारकों जैसे छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और स्कूलों के प्रमुखों को अपने स्कूलों में मोबाइल फोन के न्यूनतम उपयोग पर आम सहमति बनाने की आवश्यकता है. ताकि कक्षा में अधिक सार्थक सीखने का माहौल बनाए रखा जा सके जो छात्रों के लिए बेहतर माहौल और स्कूल का माहौल बनाए.