नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने वकील अशोक अरोड़ा की सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव पद से निलंबित करने को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. वहीं जस्टिस राजीव सहाय एंड लॉ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों को 2 नवंबर तक लिखित दलीलें दाखिल करने का आदेश दिया.
सिंगल बेंच ने की थी याचिका खारिज
इसके पहले जस्टिस मुक्ता गुप्ता की सिंगल बेंच ने अशोक अरोड़ा की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इस याचिका में कोई मेरिट नहीं है. सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ अशोक अरोड़ा ने डिविजन बेंच में याचिका दायर किया है. अशोक अरोड़ा ने कहा था कि वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म हो रहा है. अरोड़ा ने कहा कि नियम 35 के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का जनरल हाउस ही उन्हें निलंबित कर सकता है और वह भी दुर्व्यवहार की शिकायत की जांच के बाद. उन्होंने कहा था कि उनका निलंबन नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है.
निलंबन में नियमों का नहीं किया गया उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से वकील अरविंद निगम ने कहा था कि नियम 35 केवल किसी सदस्य के निष्कासन से जुड़ा है, इसलिए इस नियम की दलील नहीं दी जा सकती है. निगम ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की एक्जीक्युटिव कमेटी की बैठक सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के नियम 14 के मुताबिक हुआ था. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के निर्वाचित पदों से किसी को निकालने की पहले भी परंपरा रही है. उन्होंने कहा था कि नैसर्गिक न्याय के सभी सिद्धांतों को पालन किया गया. जब अरोड़ा को निकाला गया तो दवे ने बातचीत में हिस्सा नहीं लिया और अरोड़ा को अपना पक्ष रखने का मौका मिला था. यहां तक कि अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उसे बिना शर्त वापस भी ले लिया था.