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दिल्ली वालों के लिए बहुत ही निराशाजनक रहा वित्तीय बजट: दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष

चौ. अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली भाजपा निगमों में वित्तीय संकट से निपटने के लिए मोदी सरकार से धन प्राप्त करने के बारे में बहुत बातें करती थी. लेकिन केंद्रीय बजट में निगर निगमों की दुर्दशा की अनदेखी करते हुए किसी भी प्रकार की कोई वित्तीय मदद नहीं की गई.

चौधरी अनिल कुमार
चौधरी अनिल कुमार

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Published : Feb 1, 2021, 11:56 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया गया बजट दिल्लीवासियों के लिए निराशाजनक रहा. उन्होंने कहा कि राजधानी दिल्ली पर कोविड-19 महामारी संकट के कारण आर्थिक स्थिति पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है, दिल्लीवासियों को कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ा है. जैसे- कोविड़-19 महामारी, तालाबंदी, बरोजगारी इत्यादि. परन्तु बजट में दिल्ली के लिए कोई वित्तीय राहत पैकेज का प्रावधान नहीं किया गया है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि निर्भया फंड में भारी कटौती की गई है जो पहले 855 करोड़ रुपये था वो अब घटाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि निर्भया फंड में भारी कटौती इस बात को दर्शाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभियान “बेटी बचाओ, बेटी पढाओ” केवल मात्र एक ढ़ोंग है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में महिलाओं के प्रति लगातार उत्पीड़न के मामले बढ़ते जा रहे हैं. चुनाव से पहले महिला सुरक्षा पर किए गए सभी वादे खोखले साबित हो रहे हैं.


निगम को नहीं मिली कोई वित्तीय सहायता
चौ. अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली भाजपा निगमों में वित्तीय संकट से निपटने के लिए मोदी सरकार से धन प्राप्त करने के बारे में बहुत बढ़-चढ़कर बातें किया करती थी. लेकिन दिल्ली के तीनों नगर निगमों पर भाजपा का शासन होने के बावजूद, केंद्रीय बजट में निगर निगमों की दुर्दशा की अनदेखी करते हुए किसी भी प्रकार की कोई वित्तीय मदद नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि जब वित्त मंत्री बजट पेश कर रही थीं तो उस समय एमसीडी स्वच्छता कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग अपने वर्तमान और बकाया वेतन वापस की मांग को लेकर हड़ताल पर था. उन्होंने कहा कि सात सालों से जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है. तब से एमसीडी और दिल्ली सरकार के बीच काउंटर शुल्क, व्यापार शुल्क और भ्रष्टाचार और धन के दुरुपयोग पर बिना स्थायी समाधान के लगातार लड़ाई चल रही है. उन्होंने कहा कि कोविड़ महामारी के दौरान स्वच्छता कर्मचारियों और अन्य कोविड़ वारियर्स जैसे कि डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और यहां तक कि शिक्षकों ने भी पिछले वर्ष अपनी जान जोखिम में डाल कर काफी परिश्रम किया ताकि उनका वेतन मिल सके. परन्तु अब उनको अपने ही मेहनत की कमाई से जोड़े हुए धन के लिए ही हड़ताल करनी पड़ रही है.

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मेट्रो को भी नहीं मिला कोई अतिरिक्त फंड
चौ. अनिल कुमार ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के कारण दिल्ली मेट्रो कई महीने तक बन्द रहने के कारण अत्यधिक वित्तीय नुकसान झेलना पड़ा जो जल्द ही घाटे से उबरने वाला नहीं है. बजट में दिल्ली मेट्रो के लिए भी कोई भी वित्तीय जमानत पैकेज नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि मेट्रो हमेशा लाभ कमाने वाला उपक्रम रहा है और दिल्ली मेट्रो वित्तीय रूप में केवल तभी वापस आ सकता है यदि केंद्रीय बजट में दिल्ली मेट्रो के लिए भी वित्तीय सहायता करे.

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