नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि केजरीवाल सरकार बुनियादी शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध कराए बिना पेरेंट-टीचर मीटिंग जैसे सामान्य स्कूल कैलेंडर कार्यक्रम को एक विशेष कार्यक्रम के रूप में कैसे मना सकती है. सरकार जो दिखाने की कोशिश करती है और जमीनी हकीकत में बहुत अंतर है.
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार द्वारा बेहतर स्कूल भवन और कक्षा उपलब्ध कराने के बड़े-बड़े दावों के बावजूद, अशोक अग्रवाल जैसे प्रसिद्ध शिक्षाविद् को यह बात सामने रखते देखा गया कि दिल्ली सरकार के अधिकांश स्कूलों में 90 से 130 छात्रों को एक कक्षा कक्ष में बैठाया जाता है. इतना ही नहीं, दो शिक्षक एक ही कमरे में दो अलग कक्षाओं को पढ़ाते हैं, जो सीएम केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की विफलता को दर्शाता है.
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि स्कूलों और कक्षा कक्ष की कमी की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में नामांकित लगभग 41.6% छात्र दिल्ली सरकार के स्कूलों में नामांकित हैं, जो बहुत कम है. कुल 5,619 स्कूलों में से बमुश्किल 22.4% यानी 1,250 सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं. केजरीवाल सरकार की स्वघोषित शिक्षा क्रांति के नौ साल बाद शिक्षा के बुनियादी ढांचे की स्थिति बद से बदतर हो गई है.