नई दिल्ली:नगर निगमों के फंड को लेकर दिल्ली में राजनीतिक हलचल लगातार जारी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि उनकी सरकार ने नगर निगमों को जितना बनता था, उससे कहीं ज्यादा पैसा दिया है. इसके बावजूद अगर फंड की कमी हुई है, तो नगर निगम को केंद्र सरकार से पैसा मांगना चाहिए. साथ ही अपने भ्रष्टाचार को कम करना चाहिए. दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने इसे झूठ बताया है. गुप्ता का कहना है कि सरकार ने कटौती करने के बाद भी निगमों को उनका हक नहीं दिया है और अब केजरीवाल इस पर राजनीति कर रहे हैं.
आदेश गुप्ता ने साधा केजरीवाल पर निशाना '60 हजार करोड़ का हिसाब दें केजरीवाल'
आदेश गुप्ता ने कहा कि सबसे पहले तो केजरीवाल साहब को बताना चाहिए कि उनकी सरकार का बजट 60 हजार करोड़ है और उस पैसे का उन्होंने क्या किया. क्या दिल्ली में नया फ्लाईओवर, कंस्ट्रक्शन या विकास हुआ है! जो दिल्ली नगर निगम का पैसे उन्हें देना है, वो फैक्ट्स के साथ दिल्ली फाइनेंस कमीशन के हिसाब से पैसा है. वो निगम का हक भी नहीं दे रहे हैं.
'हक में भी कटौती'
उन्होंने कहा कि जो ग्रांट-इन-ऐड पहले 17.6 प्रतिशत ग्लोबल शेयर मिलता था, वो केजरीवाल साहब ने 12 फीसदी घोषित किया, 10 फीसदी दिया और कोरोना काल में उसमें भी 57 फीसदी की कटौती की. कोरोना के बावजूद इस महीने केजरीवाल सरकार के पास ज्यादा पैसा इकट्ठा हुआ है. वो इस पर भी झूठ बोल रहे हैं.
'विज्ञापन के पैसे कहां से आए'
आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री कहते हैं कि उनके पास पैसा नहीं है. अगर पैसा नहीं है तो रोजाना 40 लाख रुपये विज्ञापन पर क्यों खर्च कर रहे हैं. वो पैसा सैलरी के लिए दे दें. उन्होंने कहा कि कोरोना महामरी के दौर में जब मजदूर यहां से पलायन कर रहे थे, तब अरविंद केजरीवाल ने उनकी सुध नहीं ली. तब केंद्र सरकार से इनको राशन देने की घोषणा की थी. केंद्र सरकार ने कोरोना के समय आपको आर्थिक सहायता दी. गुप्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
बीते दिन धरने पर बैठे थे मेयर
बता दें कि इससे पहले दिल्ली नगर निगम के मेयर बीते दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पूरे दिन धरने पर बैठे थे. शाम को दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन के आश्वासन के बाद वह उठे तो थे, लेकिन साथ ही फंड नहीं मिलने पर बड़े आंदोलन की बात कही थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री के बयान के बाद अब ये साफ हो गया है कि दिल्ली सरकार निगमों को कोई पैसा नहीं देने वाली है.