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दिल्ली बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर लगाया जल बोर्ड में 500 करोड़ के घोटाले का आरोप

Scam In Delhi Jal Board: दिल्ली बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड में एकल बोलीदाताओं को अपग्रेडेशन एवं सुदृढीकरण कार्य सौंपकर जल्दबाजी दिखाकर 500 करोड़ रुपये का घोटाला किया है.

केजरीवाल सरकार पर जल बोर्ड में घोटाले का आरोप
केजरीवाल सरकार पर जल बोर्ड में घोटाले का आरोप

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 27, 2023, 1:45 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली के अरविंद केजरीवाल सरकार पर एक और बड़े भ्रष्टाचार और घोटाले का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड में एकल बोलीदाताओं को अपग्रेडेशन एवं सुदृढीकरण कार्य सौंपकर 500 करोड़ रुपये का घोटाला किया है.

सचदेवा का कहना है कि ठेकेदारों ने सरकारी निविदा प्रक्रिया में अनिवार्य विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जमा नहीं की थी. उन्होंने डीजेबी घोटाले की तत्काल जांच के लिए सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय के साथ-साथ उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को तथ्यों के साथ विस्तृत नोट भेजे हैं. ठेकेदारों को ठेके देने की जल्दबाजी करने और परियोजनाओं को आवंटित करने में अनुचित जल्दबाजी दिखाने वाले अधिकारियों और संबंधित मंत्री के खिलाफ जांच करने का भी आह्वान किया है.

लागत विश्लेषण के बिना कार्यों को आवंटित करने की जल्दबाजी : सचदेवा ने सीबीआई, ईडी और दिल्ली एलजी को सूचित किया कि विस्तार के कार्यों की लागत आशा से भी बहुत अधिक है. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि भले ही कुछ बोलीदाताओं ने डीपीआर प्रदान करने की पेशकश की थी. लेकिन दिल्ली सरकार ने कार्यों के ठेके पाने वालों के पक्ष में पूर्व-निर्धारित निर्णय के स्पष्ट मामले में उचित परिश्रम और लागत विश्लेषण के बिना कार्यों को आवंटित करने में अत्यधिक जल्दबाजी दिखाई.

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ताइवानी दूतावास से उचित सर्टिफिकेट भी नहीं लिया गया :सचदेवा ने खुलासा किया कि संबंधित मंत्री निर्णय को मंजूरी देने में सक्षम नहीं थे. फिर भी दिल्ली सरकार कार्यों का ठेका देने में आगे बढ़ गई. एक चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन में सचदेवा ने यह भी खुलासा किया कि कार्यों को पुरस्कृत करने में ताइवानी दूतावास से उचित सर्टिफिकेट भी नहीं लिया गया. जबकि उक्त संपर्ककर्ता की हलकी योग्यता सर्वविदित थी.

केजरीवाल सरकार पर जल बोर्ड में घोटाले का आरोप

स्थानीय कारकों पर अनिवार्य विचार नहीं मांगा गया :सचदेवा ने खुलासा किया कि 10 एसटीपी (सीवेज उपचार संयंत्र) में से केवल पांच को अपग्रेडेशन के लिए चुना गया था. जबकि बाकी को 2022 में 1938 करोड़ रुपये की लागत से अपग्रेडेशन एवं सुदृढीकरण के लिए लिया गया था. चौंकाने वाली बात यह है कि जो डीपीआर बनाई गई थी वो केवल दो एसटीपी - कोंडली और रोहिणी के लिए उपलब्ध है. सचदेवा ने जांच एजेंसियों को लिखे पत्रों में कहा कि कार्यों को जल्दबाजी में सौंपने से पहले मिट्टी की ताकत, सीवेज गुणवत्ता और चरम प्रवाह डेटा और अन्य जैसे स्थानीय कारकों पर अनिवार्य विचार भी नहीं मांगा गया था.

चार पैकेजों के लिए केवल दो बोलीदाताओं ने भाग लिया :सचदेवा ने खुलासा किया है कि सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि कार्यों के चार पैकेजों के लिए केवल दो बोलीदाताओं ने भाग लिया था. जिन्हें पूर्व-निर्धारित तरीके से कार्यों को आवंटित करने के स्पष्ट इरादे से पार्सल किया गया था.और प्रत्येक को परियोजनाएं प्रदान की गईं. इसके अलावा टेंडरिंग बदलावों ने वास्तविक ठेकेदारों को टेंडरिंग प्रक्रिया में भाग लेने से दूर रखने के उद्देश्य से कम समयसीमा के साथ तकनीकी मानदंडों को कम कर दिया है.

उदित प्रकाश की नियुक्ति गलत थी :सचदेवा ने यह भी बताया कि डीजेबी के पूर्व सीईओ उदित प्रकाश (भारत सरकार के उप सचिव) ने 30 मई 2022 को बोर्ड से अनुमोदन प्राप्त करने में अनुचित जल्दबाजी में काम किया. भले ही उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था. उदित प्रकाश की नियुक्ति शुरू से ही गलत थी क्योंकि संयुक्त सचिव रैंक से नीचे का कोई भी अधिकारी सीईओ डीजेबी के रूप में तैनात होने के लिए पात्र नहीं है.


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