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अस्पतालों से डी-लिंक हुए बैंक्वेट हॉल में लौटी रंगत, सरकार से है मदद की दरकार

कोरोना अस्पतालों से डी-लिंक किए जाने के बाद अब दिल्ली के उन बैंक्वेट हॉल्स में रंगत लौटने लगी है, जो कुछ दिन पहले तक कोरोना के अस्थायी अस्पताल में तब्दील थे. ईटीवी भारत आपको दिखा रहा है, पूर्वी दिल्ली के एक ऐसे ही बैंक्वेट हॉल का हाल.

Delhi banquet halls reopening
अस्पतालों से डी-लिंक हुए बैंक्वेट हॉल

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Published : Aug 25, 2020, 1:42 PM IST

नई दिल्ली:भारत में कोरोना की दस्तक शादियों के सीजन के साथ ही हुई थी और फिर जैसे ही लॉकडाउन की घोषणा हुई, या तो इन शादियों की तारीख बढ़ाई गई या फिर इन्हें बिना किसी उत्सव आयोजन के पूरा किया गया. इसका सीधा असर उन बैंक्वेट हॉल्स पर पड़ा, जिनका पूरा व्यवसाय ही शादियों के आयोजन पर टिका होता है. हालांकि दिल्ली के बैंक्वेट हॉल मालिकों की समस्या इससे कुछ ज्यादा है.

अस्पतालों से डी-लिंक हुए बैंक्वेट हॉल में रौनक

8 मार्च को आखिरी आयोजन

ईटीवी भारत से बातचीत में पूर्वी दिल्ली के एक बैंक्वेट हॉल मालिक कृष्णा जैन बताते हैं कि उनके बैंक्वेट हॉल में आखिरी आयोजन 8 मार्च को हुआ था. तब से अब तक बैंक्वेट हॉल सूना पड़ा है. इस बीच दिल्ली में बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए उनके बैंक्वेट हॉल को कोरोना के अस्थायी अस्पताल में भी बदला गया. ये बैंक्वेट हॉल दिल्ली के उन 77 बैंक्वेट हॉल्स में शामिल है, जहां दिल्ली सरकार ने 11,229 कोरोना बेड्स की व्यवस्था की थी.

5 जून को लगे थे हॉस्पिटल बेड

कृष्णा जैन ने बताया कि उनके बैंक्वेट हॉल में 15 जून को 82 बेड लगाए गए थे. लेकिन अब जबकि दिल्ली में कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ चुकी है, पहले दिल्ली सरकार ने अस्पतालों के साथ लिंक किए गए होटल्स को डी-लिंक किया और अब ये सभी बैंक्वेट हॉल्स भी डी-लिंक किए जा चुके हैं. लेकिन इस दौरान बैंक्वेट हॉल के खर्चे जारी रहे और कमाई पर तालाबंदी रही, जिसके कारण बैंक्वेट हॉल मालिक काफी नुकसान का सामना कर रहे हैं.

कोरोना के मद्देनजर पूरी है तैयारी

सरकार की तरफ से तो अब यहां से कोरोना के बेड हटा दिए गए हैं, लेकिन कोई स्पष्ट गाइडलाइंस अभी तक सामने नहीं आया है. इस बैंक्वेट हॉल की जेनरल मैनेजर स्वाति मनचंदा ईटीवी भारत से बातचीत में कहती हैं कि कोरोना के मद्देनजर हमने थर्मल स्कैनिंग से लेकर सोशल डिस्टेंसिग के तहत सिटिंग अरेंजमेंट तक की व्यवस्था कर ली है, लेकिन अभी न तो बुकिंग्स आ रहीं हैं और न ही हमारे पास वर्तमान समय में किसी आयोजन को लेकर स्पष्ट गाइडलाइंस हैं.

सरकार से मदद की उम्मीद

स्वाति मनचंदा का कहना था कि शादी एक ऐसा आयोजन होती है. जिसमें बड़ी संख्या में गैदरिंग लाजिमी है. केवल घरवालों को मिलाकर ही 50 लोग पूरे हो जाते हैं. ऐसे में खासकर हम बड़े बैंक्वेट हॉल वालों को बड़ी गैदरिंग के आयोजन की अनुमति मिलनी चाहिए. अपनी समस्याओं व इसे लेकर सरकार से मांग के बारे में बात करते हुए कृष्णा जैन ने कहा कि अगर सरकार हमारे बिजली बिल माफ कर दे, तो हमें बड़ी राहत मिलेगी.

घर लौट चुके हैं कामगार

उनका कहना था कि बैंक्वेट हॉल के बड़े खर्चे बिजली बिल, किराया, मेन्टेन्स व गार्ड की सैलरी से जुड़े होते हैं. पूरे कोरोना काल में हमारे ये खर्चे जारी रहे, जबकि आमदनी शून्य थी, इसलिए सरकार से इसमें कुछ मदद की उम्मीद कर रहे हैं. इनके साथ एक बड़ी समस्या ये भी है कि बैंक्वेट हॉल में काम करने वाले सभी कामगार अपने घरों की लौट गए हैं और बैंक्वेट हॉल बन्द होने की बड़ी मार उन्हें भी झेलनी पड़ी है.



गाइडलाइन का इंतजार

अब इंजतार है उन कामगारों के दिल्ली लौटने का, लेकिन साथ ही चिंता ये है कि व्यवसाय कब तक पटरी पर लौट पाएगा, क्योंकि अब शादियों का सीजन खत्म हो चुका है. वहीं किसी बाकी आयोजन को लेकर अभी लोग सशंकित हैं. भीड़ को 50 लोगों तक सीमित रखने की सरकारी गाइडलाइन भी इन बैंक्वेट हॉल मालिकों के लिए समस्या है. ऐसे में इन्हें इंतजार है. सरकार की तरफ से नई गाइडलाइन और नुकसान की भरपाई के लिए कुछ सहायता का.

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