नई दिल्ली:कोरोना महामारी से लगे लॉकडाउन को एक साल पूरा हो गया है. लेकिन एक साल बाद टीके आने के बावजूद देश भर में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है. हैरानी इस बात की है कि वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद कोरोना से सिर्फ 6-12 महीने ही सुरक्षा मिलेगी. यह कोई साधारण व्यक्ति ने नहीं, बल्कि देश के बड़े अस्पताल एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कही है.
दोनों डोज के बाद एक साल तक रह सकते हैं सुरक्षित
डॉ. गुलेरिया ने एक वर्चुअल कॉफ्रेंस में कहा कि वैक्सीन की दोनों डोज के बाद छह महीने से एक साल तक की सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है. सेंट्रल इंडियन पुलिस सर्विस एसोसिएशन (सीआईपीएसए ) ने कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पुलिस की भूमिका और संक्रमण के खतरे से बचाव को लेकर वर्चुअल सेशन वैक्सीन वार्ता का आयोजन किया गया. इसमें पुलिसकर्मियों को महामारी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई तथा कोविड वैक्सीन के बारे पुलिसकर्मियों की शंकाओं का जवाब दिया गया.
78 फीसदी मौतें 50 साल से अधिक उम्र के लोगों की हुई
विशेषज्ञों ने जोखिम के खतरे वाले समूह को बहुत आकलन कर तैयार किया है, कोविड से होने वाले 78 प्रतिशत मौतें 50 साल से अधिक लोगों की थी इसलिए प्राथमिक सूची में स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर, बुजुर्ग और कोमोरबिड समूह को शामिल किया गया.
दो लाख पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित, 1120 की मौत
देश के 30 लाख पुलिस कर्मचारी महामारी के दौरान अति आवश्यक सेवा को पूरा करने के लिए दिन-रात काम करते रहे. आईपीएस फाउंडेशन के आंकड़ों के अनुसार देशभर में लगभग (भारतीय पुलिस फाउंडेशन के अनुसार) दो लाख पुलिस कर्मी कोरोना संक्रमण के शिकार हुए और 1120 पुलिसकर्मियों की संक्रमण की वजह से मौत हो गई.
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भारत में कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभव कम
एईएफआई (टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना) के सदस्य डॉ. एनके अरोड़ा ने बताया कि भारत में कोरोना वैक्सीन से होने वाले दुष्प्रभाव का प्रतिशत बहुत कम है. अब तक देशभर में चार करोड़ लोगों को कोरोना का वैक्सीन लग चुकी है. यहां एक हजार लोगों में केवल चार और दस हजार में चालीस लोगों मे कोरोना वैक्सीन का दुष्प्रभाव देखा गया. नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि जोखिम के खतरे वाले लोगों को वैक्सीन जरूरी लगानी चाहिए, इसके साथ ही इस समय जबकि कोरोना के मामले दोबारा तेजी से बढ़ रहे हैं, पुलिस कर्मियों की भूमिका और अहम हो जाती है, इस समय कांटेक्ट ट्रैकिंग के साथ ही कंटेंटमेंट जोन घोषित करने और सख्ती से कोरोेना अनुरूपी व्यवहार का पालन करने भी जरूरी है.