शिक्षक आरती कानूनगो से खास बातचीत नई दिल्ली:5 सितंबर को शिक्षक दिवस है. इस दिन शिक्षा के क्षेत्र में कई शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा. इसी कड़ी में राष्ट्रपति भवन में भी एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. कार्यक्रम में देश भर के गिने-चुने शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. राष्ट्रपति द्वारा यह अवार्ड दिल्ली के लक्ष्मी नगर स्थित एसकेवी में पढ़ाने वाली टीजीटी अंग्रेजी की शिक्षिका आरती कानूनगो को नेशनल टीचर अवार्ड 2023 से सम्मानित किया जाएगा. आरती ने ईटीवी भारत दिल्ली से बातचीत की और राष्ट्रीय टीचर अवार्ड के बारे में अपना विचार साझा किया.
आपकों बता दें कि आरती को शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाते हुए 22 साल हो गए. साल 2001 में एमसीडी के स्कूलों में पढ़ने से शुरुआत हुई. यहां 8 साल से ज्यादा आरती की जर्नी रही. इसके बाद 2010 में दिल्ली के एक सरकार के स्कूल ब्लॉक शकरपुर में बतौर इंग्लिश शिक्षिका के तौर पर पढ़ाना शुरू किया. आरती मूलरूप से दिल्ली की रहने वाली हैं. उनके परिवार में पति, बच्चे के अलावा सास ससुर हैं. आरती को 2019 में ग्लोबल टीचर प्राइज भी मिला चुका है. दुबई में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था. उन्हें वन मिलियन डॉलर अवार्ड, सीबीएसई की तरफ से 2020 में बेस्ट टीचर का अवार्ड भी मिला है. 2017 में उन्हें स्टेट टीचर अवार्ड भी मिला है. अब उन्हें नेशनल टीचर अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा.
सवाल: राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार कैसे आपको प्रेरित कर रहा है?
जवाब: देखिए, इस अवॉर्ड के लिए सबसे पहले सभी को धन्यवाद देती हूं. यह राष्ट्रीय सम्मान मुझे बताता है कि जिस रास्ते पर मैं चल रही हूं, जो काम कर रही हूं, बच्चों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में और समाज के लिए शिक्षा का जो काम कर रही हूं, वह बिल्कुल सही रास्ते पर है और इसी रास्ते पर आगे चलना है. यह जो सम्मान मुझे मेरे काम के लिए मिला है, यह मुझे आगे और कार्य करने के लिए प्रेरित करता है.
सवाल: शिक्षा के क्षेत्र में आप 22 साल से हैं. आपने कितना बदलाव देखा है?
जवाब: शिक्षा के क्षेत्र में हर रोज ही बदलाव होते हैं. शिक्षा समाज से अलग है ही नहीं. जिस तरह समाज में बदलाव होता है. उसी तरह समय-समय पर शिक्षा में भी बदलाव होता रहता है. आज हर माता पिता अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए अग्रसर है. क्योंकि अभिभावक नहीं चाहते हैं कि उनके बच्चे परेशान हो. जब एक अनपढ़ व्यक्ति को शिक्षा का महत्व समझ में आ जाएगा तो शिक्षा के जगत में अपने आप बुलंदियों तक पहुंच पाएगी. उन्होंने कहा कि शिक्षा कि इस यात्रा में नए नए प्रयोग हुए हैं.
सवाल: शिक्षा के क्षेत्र में सफर की शुरुआत कैसे हुई?
जवाब: 2001 में सरकारी स्कूल में शिक्षिका के तौर पर मेरी शुरुआत हुई. शुरुआत में एमसीडी स्कूल में पढ़ाया. 8 साल 3 महीने यहां बच्चों को पढ़ाया. इसके बाद दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ. साल 2010 में शकरपूर के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया. वहीं अभी लक्ष्मी नगर में बीते एक साल से पढ़ा रही हूं. उन्होंने बताया कि शिक्षक बनने का जुनून था और मुझे इस पर खड़ा उतरना था. शिक्षक बनने के पीछे मेरा उद्देश्य यह था कि मुझे सिर्फ बच्चों को लिखना पढ़ना नहीं सिखाना है मुझे उनमें आत्मविश्वास पैदा करना है. बच्चों के भय को दूर करके उनके टैलेंट के अनुसार उन्हें पढ़ाना है. उनको उनकी रुचि के हिसाब से बताना है कि आप यहां बहुत बेहतर कर सकते हैं. साथ ही उनको खुद से जोड़ना है. इसलिए शुरू से मेरा रहा बच्चों के साथ कनेक्ट करना उनके साथ जुड़ना. पहले बच्चों को लगता था कि उनको कोई सुन तो नहीं रहा लेकिन अब उनको लगता है कि हां अब हमारी भी सुनी जा रही है.
सवाल: आपके लिए यह 22 साल में क्या संघर्ष रहा?
जवाब: संघर्ष नहीं होता तो शायद आज हम इतना बेहतर नहीं कर पाते. संघर्ष ही हमें सीखता है कि हार नहीं माननी है. उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह चुनौती रहा कि बच्चों में मासिक धर्म के बारे में जागरूकता फैलाना. शुरुआत में भी बहुत डरी हुई थी. मैं अपने बच्चों की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरी बात को समझा और यह जाना कि मैं जो उनके शरीर के संबंध में बता रही हूं वह उनके लिए ही है. अब बच्चे पीरियड्स के बारे में खुल कर बात करते हैं. जिस काम में कठिनाई न हो उसे करने में मजा भी नहीं आता.
सवाल: आप अंग्रेजी की शिक्षिका हैं अंग्रेजी कैसे बेहतर करे?
जवाब: सबसे पहले मैं कहना चाहूंगी कि सभी भाषा बहुत खूबसूरत है. हिंदी भाषा से मुझे बहुत प्रेम है. जहां तक बात अंग्रेजी भाषा की है तो हम स्कूलों में बच्चों के लिए स्पोकन अंग्रेजी की क्लास देते हैं और आज बच्चों को अंग्रेजी पढ़ना काफी अच्छा लगता है. उन्हें इसमें आनंद महसूस होता है. हालांकि, शुरुआत में अंग्रेजी बोलने में दिक्कत आ सकती है. लेकिन हमें रुकना नहीं है डरना नहीं है. बस प्रैक्टिस जारी रखना है. मैं बच्चों को प्रेरित करती हूं कि वह अंग्रेजी गाना सुने.
सवाल: राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के बाद आगे क्या करना है?
जवाब:शिक्षा का कार्यक्षेत्र बहुत बड़ा है. आगे बहुत कार्य करना है. सबसे पहले कि बच्चे बहुत कोमल होते हैं उन्हें यह समझाना है कि हम सब एक हैं सभी की इज्जत करना है. राष्ट्र स्तर पर जो हम योगदान दे सकते हैं वह योगदान दे. क्योंकि, आज यह बहुत जरूरी है कि हम सभी का सम्मान करे. क्योंकि सम्मान पाने का हक सभी को है.
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