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एम जे अकबर-प्रिया रमानी मानहानि केस:  17 फरवरी को कोर्ट सुनाएगा फैसला

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट आज पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले पर 17 फरवरी को फैसला सुनाएगा.

एमजे अकबर की याचिका पर फैसला आज
एमजे अकबर की याचिका पर फैसला आज

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Published : Feb 10, 2021, 8:30 AM IST

Updated : Feb 10, 2021, 4:04 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट आज पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले पर 17 फरवरी को फैसला सुनाएगी. पिछले एक फरवरी को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

'यौन प्रताड़ना के आरोप सही'

सुनवाई के दौरान प्रिया रमानी की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर के खिलाफ यौन प्रताड़ना के आरोप सही हैं. उसके बारे में किए गए ट्वीट मानहानि वाले नहीं थे और वे जनहित में किए गए थे. उन्होंने कहा था कि यौन प्रताड़ना के आरोपी को उच्च पदों पर नहीं होना चाहिए जो कि एक जनहित था. रेबेका जॉन ने कहा था कि दूसरी महिलाओं ने अगर आरोप नहीं लगाए इसका मतलब ये नहीं है. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर को गजाला वहाब और पल्लवी गोगोई के आरोपों से परेशानी क्यों नहीं हुई. उनके आरोप ज्यादा गंभीर थे.

पिक एंड चूज का कारण बताना होगा

रेबेका जॉन ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले को उद्धृत करते हुए कहा था कि अगर आप पिक एंड चूज करते हैं तो आपको चूज नहीं करने का कारण बताना होगा. एमजे अकबर रमानी के पीछे इसलिए पड़े की वो एक सॉफ्ट टारगेट थी. जॉन ने कहा कि प्रिया रमानी ने व्यक्तिगत कारणों से ट्विटर अकाउंट निष्क्रिय किया था. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी ने एक ईमानदार बयान दिया था.

'रिपोर्टर को कानून की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए'

पिछले 27 जनवरी को एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं. सुनवाई के दौरान लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने जो आरोप लगाए वो उसे साबित करने में नाकाम रही हैं. लूथरा ने कहा था कि एक रिपोर्टर को कानून की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए. प्रेस और मीडिया का कर्तव्य है कि वो लोगों को शिक्षित करें. उन्होंने कहा था कि सोशल मीडिया पर बिना कुछ वेरिफाई किए कुछ कहना आसान होता है. 2013 के कानून के मुताबिक शिकायत तीन महीने में करनी होती है. लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया. एक व्यक्ति किसी की छवि को सार्वजनिक रुप से खराब कर सकता है. उन्होंने कहा था कि रमानी ने एमजे अकबर को शिकारी कहा और इसका कोई सबूत नहीं है.

2018 में दर्ज किया था मुकदमा

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को 10 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.

Last Updated : Feb 10, 2021, 4:04 PM IST

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