नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (MCD) के 250 वार्ड के लिए हुए मतदान के जरिए दिल्ली की जनता ने अपना फैसला सुना दिया है. रविवार को मतदान संपन्न हुआ. मतदान फीसद सबके लिए चौंकाने वाला रहा क्योंकि इससे पहले वर्ष 2017 में जब एमसीडी चुनाव हुए थे, उस समय से भी तीन फीसद कम वोट इस बार मतदाताओं ने डाले. मतदान कम होने के कारणों (Reasons for low Voting in MCD Election) की पड़ताल राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) करने में जुट गया है.
बताया जा रहा है कि परिसीमन की वजह से बूथ बदलने, मतदाता सूचियों में नाम न मिलने और पोलिंग स्टेशन (polling station) पर कुछ अव्यवस्था की वजह से ज्यादातर वार्डों में परेशानी हुई. इस संबंध में ईटीवी भारत ने भी मतदान के दिन कई जगहों से रिपोर्ट को दिखाया था. मतदाता इस तरह उलझा की कुछ वोट डालने की उम्मीद में इधर-उधर भटके तो अधिकांश बिना वोट डाले ही मतदान केंद्र से वापस लौट गए. चुनाव नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे. 250 वार्डों में कुल 50.47 फीसदी मतदान हुआ, जो 2017 के मुकाबले लगभग 3 फीसद कम है. जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषक अतुल सिंघल बताते हैं भाजपा 15 सालों से एमसीडी की सत्ता में है. इसलिए उसके कोर मतदाताओं में भी कामकाज को लेकर नाराजगी साफ नजर आई. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा को समर्थन देने वाले मतदाता आम आदमी पार्टी को वोट करने में भी बहुत ज्यादा सहज नहीं थे और इसलिए उन्होंने वोट नहीं किया. दूसरी तरफ दिल्ली के कुछ इलाकों में यह बात भी सामने आई कि आम आदमी पार्टी के गत आठ साल के शासन को लेकर के भी लोग बहुत उत्साहित नहीं थे, लेकिन ऐसे लोगों को भाजपा अपनी तरफ खींच नहीं सकी. कुछ इलाकों में कमजोर कांग्रेस के पक्ष में वोट पड़ा. कई सीटों पर कांग्रेस ने अच्छी लड़ाई लड़ी है और वह दोनों पार्टियों का खेल कई सीटों पर बिगाड़ सकती है. कम मतदान होने से यह भी हो सकता है कि जितना नुकसान भाजपा को हो रहा है, उतना ही नुकसान आम आदमी पार्टी को भी हो.
पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त राकेश मेहता (Former State Election Commissioner Rakesh Mehta) ने संक्षेप में कहा कि इससे पहले भी स्थानीय निकायों के चुनाव में वोटिंग कम (Low Voting For MCD Election) हुई है. लेकिन हां, दिल्ली में 65 और 70 फीसद के करीब भी मतदान हुआ है तो इस आंकड़ें को संतोषजनक नहीं कहा जा सकता. जानकार बताते हैं कि कई सारे इलाकों में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता इसलिए निष्क्रिय थे, क्योंकि टिकट का बंटवारा ठीक तरीके से नहीं किया गया था. ऐसी स्थिति में कई सीटों पर तो बगावत हुई, लेकिन कई सीटों पर नाराज कार्यकर्ता मतदाताओं के बीच चुनाव प्रचार में गए ही नहीं. यहां तक कि ऐसे कार्यकर्ताओं ने मतदान वाले दिन मतदाताओं को घर से बाहर निकालने में बहुत उत्साह भी नहीं दिखाया.परिसीमन और चुनाव घोषित होने के आखिरी समय तक 14 नवंबर तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने के कारण लोगों को मतदान करने में परेशानी का सामना करना पड़ा. वे वोट डालने के लिए एक से दूसरे बूथ तक भटकते रहे. कुछ लोग तो बिना मत डाले ही अपने घरों को लौट गए. पहले दिल्ली में कुल 272 वार्ड थे. जो परिसीमन के बाद 250 रह गए. इसीलिए मतदान केंद्रों पर बूथ संख्या बदल जाने से मतदान नहीं कर पाए. अनाधिकृत कॉलोनियों के मतदाता हर बार की तरह आगे नजर आए. वहीं दिल्ली की पॉश और गांव देहात के इलाकों में मिलाजुला उत्साह दिखा. चुनाव आयोग ने भी इस बात को माना है, क्योंकि बाहरी दिल्ली के अंदर आने वाले बख्तावरपुर गांव के वार्ड नंबर 5 में सबसे ज्यादा 65.74 फीसद मत पड़े. वहीं शहरी माने जाने वाले एंड्रयू गंज वार्ड में सबसे कम 33.74 फीसद मतदान हुआ. यहां पर अधिकांश टॉप ब्यूरोक्रेट्स रहते हैं.
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बता दें कि वोटिंग के बाद ईवीएम को जिला बार मतगणना केंद्र पर भेजने का काम शुरू हो गया है. मतगणना बुधवार यानी 7 दिसंबर को होगी. इसके लिए दिल्ली में कुल 42 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं. यहां सीसीटीवी कैमरे की निगरानी के साथ सुरक्षा की त्री-स्तरीय व्यवस्था की गई है.
एमसीडी चुनाव में वोट डालने वालों के आंकड़ें
वोट डालने वाले कुल मतदाताओं की संख्या - 7320577 ( 50.47%)
पुरुष मतदाता जिन्होंने डाला वोट - 4026866 (51.02%)
महिला मतदाता जिन्होंने डाला वोट - 3293497 (49.82%)
अन्य मतदाता जिन्होंने डाला वोट - 214 (20.17%)
पिछले एमसीडी चुनावों में वोटिंग फीसद -
2007 - 43.24 फीसद
2012 - 53.39 फीसद
2017 - 53.55 फीसद
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