नई दिल्ली:दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बुधवार को तुगलकाबाद में झुग्गियों को ढहाने के अभियान में स्वत: संज्ञान लिया है. आयोग ने सभी बच्चों के पुनर्वास सुनिश्चित होने तक ध्वस्तीकरण अभियान को स्थगित करने का आदेश दिया है. डीसीपीसीआर ने इस विषय में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें बच्चों के पुनर्वास होने तक अभियान को रोकने की सलाह दी है. अपने नोटिस में आयोग ने लिखा है, "दिल्ली के ऐसे भीषण मौसम में इन परिवारों से आश्रय लेना क्रूरता से कम नहीं है.
एएसआई का आदेश कई खामियों से भरा हुआ है, इसमें बच्चों के पुनर्वास के लिए कोई भी प्रयास या प्रावधान की बात नहीं की गई है. डीसीपीसीआर ने एएसआई को यह भी निर्देश दिए हैं कि वह विभिन्न प्राधिकरणों को अपना पत्राचार प्रस्तुत करे, ताकि वह बच्चों के पुनर्वास के लिए उपाय बता सके. आयोग ने इस विषय में चिंता व्यक्त करते हुए लिखा है कि कैसे क्षेत्र के बच्चों को नोटिस जारी होने के 15 दिनों के भीतर घर से बेदखल किया जा रहा है, झुग्गियों को तोड़ा जा रहा है. जबकि बच्चों के लिए कोई राहत या पुनर्वास उपायों पर विचार नहीं किया गया है.
अतिक्रमण हटाने का कार्य रोक जाए
डीसीपीसीआर ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (दिल्ली सर्किल) के निदेशक के नाम नोटिस जारी किया है. इसमें कहा गया है कि यह उल्लेखनीय है कि एएसआई के आदेश में कई खामियां है. इसमें बच्चों के पुनर्वास के लिए कोई प्रयास या प्रावधान की बात नहीं की गई है. किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 के अनुसार, बच्चे के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार, शोषण या जानबूझकर नजरअंदाज करना, जिससे बच्चे को मानसिक या शारीरिक पीड़ा हो सकती है, एक दंडनीय अपराध है. इसमें 3 साल का कारावास या 1 लाख रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है.