नई दिल्ली:अभी तक दिल्ली का अगला मास्टर प्लान 2041 नहीं आया है. इस प्लान में दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त और बेहतरीन बनाने के उद्देश्य से चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र लिखा है.
सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल का कहना है कि पिछले दिनों दिल्ली में हुई बारिश और यमुना में आई बाढ़ की वजह से कई इलाकों में भारी जलभराव देखने को मिला. राजधानी के प्रमुख बाजारों से लेकर कई रिहायशी कॉलोनियों में बाढ़ का पानी भर गया. ऐसे में, अगले मास्टर प्लान में जल निकासी, जल संचयन और जल प्रबंधन के उपयुक्त प्रावधान होने की बात कही है.
बृजेश गोयल ने कहा कि दिल्ली में पहला मास्टर प्लान 60 साल पहले 1962 में आया था, तब से अब तक ड्रेनेज सिस्टम और वॉटर मैनेजमेंट पर जमीनी स्तर का काम नहीं हुआ. किसी भी शहर को बसाने और भविष्य की प्लानिंग में मास्टर प्लान अहम होता है, जो कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय और डीडीए की जिम्मेदारी होती है. लेकिन दिल्ली शहर की बसावट, प्लानिंग में डीडीए पूरी तरह से नाकाम रहा है. इसी का नतीजा है कि यहां बारिश के हर सीजन में जगह जगह जलभराव की समस्या उत्पन्न होती है.
सीटीआई महासचिव विष्णु भार्गव और रमेश आहूजा ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक, 2041 में दिल्ली की आबादी करीब 3 करोड़ होगी. पानी की मांग 1200 एमजीडी होगी. इसमें उपयोग के बाद 80 प्रतिशत वेस्ट पानी उत्पन्न होगा. खराब पानी को फिर से उपयोग में लाने के लिए मौजूदा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) को अपग्रेड किया जाए. साथ ही करीब 40 नए STP बनाने की आवश्यकता है. अभी दिल्ली में 6 ड्रेनेज जोन हैं, जिसे बढ़ाकर 14 किए जाने की आवश्यकता है. प्रत्येक जिले में एक ड्रेनेज जोन होने चाहिए.
आस-पड़ोस के शहर जोड़े जाएं:गोयल ने कहा दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को सोनीपत, पानीपत, गुड़गांव, नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद के सिस्टम से एकीकृत करना चाहिए. अलग-अलग क्षेत्रों में जमीन के भीतर वॉटर टैंक बनाए जाएं, ताकि वहां बारिश के पानी का भंडारण हो सके. नालों और जलाशयों के किनारे 10 मीटर का अनिवार्य ग्रीन बफर बनाया जाए. वर्षा जल निकासी को पार्कों के डिजाइन में एकीकृत किया जाए, इससे वर्षा जल संचयन हो सकेगा. जलनिकासी के लिए प्राकृतिक समाधान अपनाना, प्राकृतिक नालों, नदी के किनारे हरित क्षेत्र की मोटी बांध बनाई जाए.