नई दिल्ली:देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठनों में से एक सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल ने आगामी वित्तीय बजट को लेकर पत्र लिखकर केंद्रीय वित्त मंत्री को सुझाव दिए हैं. साथ ही इस बात की मांग की गई है कि बजट से इस बार आम लोगों के साथ व्यापारी वर्ग को भी एक बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. बीते 2 वर्ष से कोरोना से व्यापारी भयंकर आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में इस बजट से राहत देने के मद्देनजर विशेष घोषणा सरकार की तरफ से की जाए, जिससे व्यापारी अपने पैर पर दोबारा खड़ा हो सके.
Union Budget 2023: सीटीआई चेयरमैन ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र, व्यापारी वर्ग को राहत देने की रखी मांग - केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को संसद में आगामी वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए आम बजट पेश करेंगी. इस बार का बजट सॉफ्ट बजट रहने का अनुमान विशेषज्ञों के द्वारा जताया गया है. इस बीच दिल्ली के 20 लाख व्यापारियों की ओर से सीटीआई ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर बजट को लेकर कई सुझाव दिए हैं. साथ ही व्यापारी वर्ग को राहत देने की मांग की है.
सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल ने पत्र में लिखा है कि तमाम सेक्टर को बजट में सरकार से राहत की दरकार है. विशेषकर मिडिल क्लास और दिल्ली के 20 लाख व्यापारियों को पिछले 8 सालों में बजट में कोई राहत नहीं मिली है. इस बार के बजट से सभी आशान्वित हैं कि उन्हें कुछ राहत जरूर मिलेगी. सीटीआई महासचिव विष्णु भार्गव और रमेश आहूजा ने कहा कि ने दिल्ली के व्यापारियों और टैक्स एक्सपर्ट्स से सलाह मशविरा करके वित्त मंत्री को बजट को लेकर सुझाव भेजे हैं.
- 5 प्रतिशत और 20 प्रतिशत के बीच 10 प्रतिशत का टैक्स स्लैब वापस लाया जाए.
- 10 लाख तक अधिकतम 10 प्रतिशत और उसके बाद कॉर्पोरेट टैक्स की तरह अधिकतम 25 प्रतिशत टैक्स होना चाहिए.
- वृद्ध टैक्सपेयर को उनके टैक्स के आधार पर ओल्ड ऐज बेनीफिट मिलना चाहिए, टैक्सपेयर की वृद्धावस्था में पिछले सालों में दिये गये इनकम टैक्स के हिसाब से उसे सोशल सिक्योरिटी और रिटायरमेंट बेनिफिट दिये जाएं.
- तिमाही टीडीएस रिटर्न को खत्म कर दिया जाए और सारी डिटेल टीडीएस चालान के साथ ही ली जाए.
- मीडिल क्लास की चिंता है कि 8 साल से इनकम टैक्स में छूट की सीमा नहीं बढ़ाई गई. 5 लाख रुपये तक की आय वालों को टैक्स नहीं देना पड़ता, लेकिन बीते 8 साल से छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही बनी हुई है. इसकी वजह से टैक्स नहीं लगने के बावजूद 5 लाख की इनकम वालों को भी रिटर्न जमा करानी पड़ती है. इसीलिए आयकर छूट की सीमा 5 लाख की जानी चाहिए.
- नकद लेन-देन की लिमिट कई सालों से नहीं बढ़ी है. 6 साल पहले डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए नकद पेमेंट की लिमिट 20 हजार से घटाकर 10 हजार कर दी गई है. 20 हजार की लिमिट 22 सालों से चली आ रही थी. सुगम व्यापार के लिए नकद पेमेंट की पुरानी लिमिट बहाल की जाए.
- कॉर्पोरेट्स एवं बड़ी कंपनियों को बैंक लोन 8 - 10 प्रतिशत की ब्याज दर से मिल जाता है, लेकिन मीडिल क्लास और छोटे व्यापारियों के लिए केंद्र सरकार की जो मुद्रा योजना है उसमें उनको कहीं ज्यादा ब्याज देना पड़ता है, इसलिए हमारी मांग है कि मिडिल क्लास को सस्ती ब्याज दरों पर लोन मिलना चाहिए.
- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए अलग से स्कीम और पैकेज की घोषणा की जाए.
- एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए एक्सपोर्ट हब की स्थापना की जाए.
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