दिल्ली

delhi

लॉकडाउन के साइट इफेक्ट: आर्थिक तंगी से जूझ रहे क्रॉकरी कारोबारी

By

Published : May 28, 2020, 11:41 AM IST

Updated : May 28, 2020, 1:18 PM IST

स्वादिष्ट खाने को परोसे जाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले दोने और प्लेटों का कारोबार लॉकडाउन के चलते ठप पड़ गया है. इसी बीच ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली के मदनगीर के क्रॉकरी व्यापारी दिनेश खंडेलवाल से उनकी समस्या जानी.

crockery merchants facing financial crises due to lockdown in delhi
ठप पड़ा क्रॉकरी कारोबार

नई दिल्ली:कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के चौथे चरण तक लोगों की आजीविका पर क्या प्रभाव पड़ा है. यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम अलग-अलग व्यापारियों से उनका हाल जानने के लिए पहुंची. इसी कड़ी में ईटीवी भारत की टीम से अपनी परेशानी साझा की दिल्ली के मदनगीर के क्रॉकरी व्यापारी दिनेश खंडेलवाल ने. जिन्होंने बताया कि प्लास्टिक बैन होने से पहले ही घाटा हो रहा था, लेकिन लॉकडाउन में सामाजिक समारोह आयोजन बंद होने से काफी नुकसान हुआ है.

लॉकडाउन के कारण ठप पड़ा क्रॉकरी कारोबार
दीमक खा रही गोदाम में पड़ा माल

क्रॉकरी व्यापारी दिनेश खंडेलवाल ने बताया कि उनका धंधा तो तब से ही घाटे में पड़ गया था जब प्लास्टिक के उपयोग पर बैन लग गया था. उन्होंने बताया कि उनका प्लास्टिक की क्रोकरी का कारोबार है. लेकिन प्लास्टिक पर बैन लगने के बाद उन्होंने पेपर से बनी क्रॉकरी रखनी शुरू की. तब से खरीदारी काफी कम हो गई थी. उस पर दोहरी मार लॉकडाउन की पड़ी. लॉकडाउन के चलते दुकान बंद रहीं. ठेले पर कुलचे छोले बेचने वाले या चाय बेचने वालों का भी कारोबार बंद हो गया, जिससे जो थोड़े बहुत गिलास और दोने बिकते थे वो भी नहीं बिक रहे. आलम यह है कि गोदाम में रखे प्लेटें और गिलासों को दीमक ने खाना शुरू कर दिया है, जिससे उन्हें हजारों का नुकसान हुआ है.

शादी ब्याह न होने से मंदा कारोबार

दिनेश खंडेलवाल ने बताया कि शादी पार्टी जन्मदिन जैसे अवसरों पर अक्सर लोग उनके यहां से क्रॉकरी चले जाते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से किसी तरह का कोई सामाजिक आयोजन नहीं हो रहा है. वहीं अब लॉकडाउन 4 में ढील मिलने के बाद भी ऑड-ईवन की तर्ज पर दुकानें खोलने का निर्देश मिला है. ऐसे में जो ग्राहक एक दिन बाजार का रुख कर लेता है, वह दूसरे दिन आने से कतराते हैं. ऐसे में पूरा-पूरा दिन बैठकर वह सिर्फ ग्राहकों की बाट जोहते हैं, लेकिन जल्दी कोई ग्राहक दुकान पर नहीं आता और ना ही कोई बिक्री होती है.


घर चलाना हुआ चुनौतीपूर्ण

उन्होंने कहा कि इस समय व्यापार की जो स्थिति है, ऐसे में घर का गुजारा करना चुनौतीपूर्ण बन गया है. किराया और बिल तो है ही इसके अलावा यह भी चिंता सता रही है कि घर में दो वक्त का राशन कहां से आएगा और बच्चों की स्कूलों की फीस भी कैसे दी जाएगी. ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की है की स्थिति को देखते हुए ठेलेवालों और चाय वालों को भी काम करने की इजाजत दी जाए, जिससे कम से कम उनके दोने और ग्लास की बिक्री हो सके और कुछ तो खरीदारी हो.

Last Updated : May 28, 2020, 1:18 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details