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दावों की पोल खुली: महिला अपराध रोकने में दिल्ली पुलिस फेल, 40 फीसदी की हुई वृद्धि

राजधानी दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी (Crime Against Women Increased In Capital Delhi) हुई है. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के महिलाओं की सुरक्षा (Women Safety) के तमाम दावे करती है, लेकिन आंकड़े तो कुछ और ही हकीकत बयां करते हैं.

crime against women increased in capital delhi
महिलाओं के प्रति अपराध

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Published : Jul 7, 2021, 6:55 PM IST

नई दिल्ली:महिलाओं के प्रति अपराध को रोकना दिल्ली पुलिस (Crime Against Women Increased In Capital Delhi) की प्राथमिकता है. इसके लिए पुलिस महिलाओं को सेल्फ डिफेंस सिखाने के साथ ही तमाम महत्वपूर्ण कदम उठाती है, लेकिन इनके बावजूद 2021 के आंकड़े पुलिस के प्रयासों को फेल बता रहे हैं.

2020 के मुकाबले 2021 में दुष्कर्म, छेड़छाड़, दहेज प्रताड़ना की घटनाओं में 30 से 40 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. अपराध का यह आंकड़ा ऐसे समय में बढ़ा है, जब डेढ़ माह तक दिल्ली में लॉकडाउन लगा हुआ था.

महिला अपराध रोकने में दिल्ली पुलिस फेल
दिल्ली पुलिस (Delhi Police) द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस द्वारा उठाए गए कदम नाकाफी साबित हुए हैं. वर्ष 2020 के मुकाबले इस वर्ष महिलाएं घर के अंदर एवं घर के बाहर अपराध का शिकार होती रही हैं. घर के भीतर जहां दहेज प्रताड़ना, दहेज हत्या, दुष्कर्म का उन्हें शिकार बनाया गया तो वहीं घर के बाहर छेड़छाड़, फब्ती कसने एवं अपहरण की वारदातों का उन्हें सामना करना पड़ा. पुलिस भले ही महिलाओं की सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन यह आंकड़े अपने आप में ही पुलिस के दावों की पोल खोल रहे हैं.

दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेदभूषण का कहना है कि इस वर्ष भी कोविड के चलते बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं. लोग अपने घरों में लंबे समय तक कैद रहे हैं. काफी संख्या में लोग मानसिक तौर पर परेशान हैं. ऐसा लगता है कि इन्हीं परेशानी के चलते घरेलू झगड़े एवं महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध बढ़े हैं. ऐसे लोगों ने घर के अंदर एवं बाहर महिलाओं को अपराध का शिकार बनाया.

वेदभूषण, पूर्व एसीपी, दिल्ली पुलिस

इसके अलावा लॉकडाउन खुलने के बाद घरों में बंद महिलाएं अब शिकायत करने के लिए बाहर आने लगी हैं. इसकी वजह से भी इन आंकड़ों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. उन्होंने बताया ऐसे अपराध रोकने के लिए आरोपियों के खिलाफ जल्द आरोपपत्र दायर कर उन्हें सजा दिलवानी चाहिए. इससे महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध में निश्चित तौर पर कमी आएगी.

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निर्भया की अधिवक्ता रहीं सीमा समृद्धि कुशवाहा ने बताया कि महिला अपराधों के बढ़ने के दो प्रमुख कारण हैं. इनमें पहला महिला अपराध को लेकर बने कानून का गंभीरता से पालन नहीं करना है. निर्भया कांड के बाद वर्ष 2013 में जस्टिस जेएस वर्मा ने महिला अपराध को लेकर बने कानून में संसोधन किया था, लेकिन आज भी न तो ऐसे अपराधों की तेजी से जांच होती है और न ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में इसकी सुनवाई. निर्भया मामले में तमाम प्रयासों के बावजूद 7 साल से ज्यादा समय दोषियों को सजा दिलवाने में लग गया. इसलिए सरकार को इन कानूनों का सख्ती से पालन करवाना होगा.

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दूसरा कारण लोगों की मानसिकता है, जो लकड़ियों को वस्तु समझते हैं. जागरूकता अभियान के जरिये उनकी मानसिकता को बदलना होगा. उन्हें समझाना होगा कि आज लड़कियां प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए कामयाब हैं. उन्हें वस्तु समझने की भूल कोई न करे. इसके साथ ही पुलिस को ऐसे मामलों में संवेदनशील होकर तेजी से जांच करना चाहिए ताकि पीड़ित को जल्द इंसाफ मिल सके.
पिछले 6 साल में दर्ज मामले

अपराध वर्ष 2020 वर्ष 2021
अपहरण 1026 1580
दुष्कर्म 580 833
छेड़छाड़ 735 1022
फब्ती कसना 146 197
दहेज प्रताड़ना 824 1712
दहेज हत्या 47 56

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