नई दिल्ली:17 साल की एक किशोरी ने अपनी मां से 2004 में दुष्कर्म करने वाले शख्स को पिता घोषित करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया. उसने रोहित शेखर बनाम एनडी तिवारी केस का हवाला भी दिया. लेकिन उसकी दलील अदालत को संतुष्ट नहीं कर सकी. रोहिणी कोर्ट के सीनियर सिविल जज कम आरसी नॉर्थ धीरेंद्र राणा की अदालत ने किशोरी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसकी मां से शादी करने वाला शख्स ही उसका पिता है.
जानकारी के अनुसार 2003-04 में 16 वर्षीय मधु(बदला हुआ नाम) का विवाह हुआ था. उसकी मां घरेलू सहायिका का काम करती थी. बीमार होने पर मां ने मधु को घर में काम करने के लिए भेजा था. उस समय एक घर में 18-19 साल के युवक ने उसे कुछ नशीला पदार्थ पिलाकर कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया. युवक ने उसे यह बात किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी. डर की वजह से उसने इस बारे में किसी को नहीं बताया. कुछ दिन बाद उसे पता चला कि वह गर्भवती है. यह बात जब उसके पति को पता चली कि उससे अलग रहने पर मधु गर्भवती हुई है तो उसने मधु को घर से निकाल दिया. उनका तलाक हो गया.
अक्टूबर 2004 में इस शादी से रानी (बदला हुआ नाम) का जन्म हुआ. मधु ने उसे कभी नहीं बताया कि वह अपने पिता की बेटी नहीं है. किशोर अवस्था में आने पर उसे मां से पता चला कि उसका पिता वह शख्स है जिसने उसकी मां के साथ दुष्कर्म किया था. हिम्मत दिखाते हुए किशोरी ने मार्च 2021 में उस शख्स को नोटिस भेजा. लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिला. इसलिए उसने अपनी मां के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाया. अदालत में उसके वकील ने यह दलील दी कि रोहित शेखर बनाम नारायण दत्त तिवारी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने रोहित शेखर के हक में फैसला दिया था.