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मां से दुष्कर्म करने वाले को पिता घोषित करने की मांग, अदालत ने दिया महत्वपूर्ण फैसला

एक किशोरी ने अदालत से मांग की थी कि जिसने 18 साल पहले उसकी मां से दुष्कर्म किया था, उसे उसका पिता घोषित किया जाए. इसके लिए उसने एनडी तिवारी केस का हवाला दिया लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया. अदालत ने साफ किया कि उसका पिता वही है जिससे उसकी मां का विवाह हुआ था. दुष्कर्म की घटना के बाद पति ने उसकी मां को तलाक दे दिया था.

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Published : Apr 2, 2022, 8:55 AM IST

Delhi Court News
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नई दिल्ली:17 साल की एक किशोरी ने अपनी मां से 2004 में दुष्कर्म करने वाले शख्स को पिता घोषित करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया. उसने रोहित शेखर बनाम एनडी तिवारी केस का हवाला भी दिया. लेकिन उसकी दलील अदालत को संतुष्ट नहीं कर सकी. रोहिणी कोर्ट के सीनियर सिविल जज कम आरसी नॉर्थ धीरेंद्र राणा की अदालत ने किशोरी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसकी मां से शादी करने वाला शख्स ही उसका पिता है.

जानकारी के अनुसार 2003-04 में 16 वर्षीय मधु(बदला हुआ नाम) का विवाह हुआ था. उसकी मां घरेलू सहायिका का काम करती थी. बीमार होने पर मां ने मधु को घर में काम करने के लिए भेजा था. उस समय एक घर में 18-19 साल के युवक ने उसे कुछ नशीला पदार्थ पिलाकर कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया. युवक ने उसे यह बात किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी. डर की वजह से उसने इस बारे में किसी को नहीं बताया. कुछ दिन बाद उसे पता चला कि वह गर्भवती है. यह बात जब उसके पति को पता चली कि उससे अलग रहने पर मधु गर्भवती हुई है तो उसने मधु को घर से निकाल दिया. उनका तलाक हो गया.

अक्टूबर 2004 में इस शादी से रानी (बदला हुआ नाम) का जन्म हुआ. मधु ने उसे कभी नहीं बताया कि वह अपने पिता की बेटी नहीं है. किशोर अवस्था में आने पर उसे मां से पता चला कि उसका पिता वह शख्स है जिसने उसकी मां के साथ दुष्कर्म किया था. हिम्मत दिखाते हुए किशोरी ने मार्च 2021 में उस शख्स को नोटिस भेजा. लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिला. इसलिए उसने अपनी मां के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाया. अदालत में उसके वकील ने यह दलील दी कि रोहित शेखर बनाम नारायण दत्त तिवारी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने रोहित शेखर के हक में फैसला दिया था.

इस मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मधु ने ना तो अपने पहले पति का नाम बताया है और ना ही शादी की तारीख. उसने अपने पति से तलाक की तारीख भी नहीं बताई है. इसलिए यह साफ नहीं है कि रानी के जन्म से पहले या बाद में उसका तलाक हुआ. दलील में यह भी नहीं कहा गया है कि वह तलाक के 280 दिनों के बाद पैदा हुई है. मधु ने दुष्कर्म को अपराध की जगह एक घटना बताया है. इसे लेकर उसने कभी भी पुलिस में कोई शिकायत नहीं की है. इंडियन एविडेंस एक्ट का सेक्शन 112 कहता है कि अगर किसी महिला के पति के साथ रहते हुए या अलग होने के 280 दिन के भीतर अगर बच्चा होता है तो वह उसके पति का ही बच्चा माना जायेगा. यह तभी किसी अन्य शख्स का बच्चा हो सकता है अगर पति-पत्नी 280 दिनों से ज्यादा समय से एक दूसरे से अलग रह रहे हैं.

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि उन्होंने रोहित शेखर के मामले में भी अदालत का आदेश पढ़ा है. इसमें साफ है कि 1970 में ही रोहित शेखर की मां का अपने पति से तलाक हो गया था. जिस समय उसकी मां गर्भवती हुई, उस समय वह अपने पति से अलग रहती थी. इस मामले में यह साफ नहीं है कि तलाक से पूर्व मधु अपने पति के साथ रह रही थी या नहीं. इसलिए यह माना जाएगा कि मधु के पति से ही रानी का जन्म हुआ और वही उसके पिता है. इसलिए रोहिणी कोर्ट के सीनियर सिविल जज कम (आरसी) नॉर्थ धीरेंद्र राणा की अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया है.

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