नई दिल्ली : XBB 1.5 वेरिएंट को चीन के बाद अमेरिका में कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने की वजह बताया जा रहा है. न्यूयॉर्क में इसकी वजह से अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ने से भारत में भी चिंताएं बढ़ गई हैं. यहां भी इस वेरिएंट से संक्रमित एक मरीज मिला है. हालांकि एक्सपर्ट बताते हैं कि यह XBB वेरिएंट पांच-छह महीने से फैल रहा है. नया वेरिएंट XBB 1.5 ज्यादा तेजी से फैलता है और इसमें इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) को चकमा देने की क्षमता ज्यादा है.
बोस्टन स्थित हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के साइंटिस्ट डॉ राम शंकर उपाध्याय बताते हैं, ओमिक्रोन के वेरिएंट में लगातार बदलाव हो रहा है. चीन में फैला BF 7 हो या भारत में मिल रहा XBB, ये ओमिक्रोन के ही सब वेरिएंट हैं. अमेरिका में फैल रहा XBB 1.5 भी ओमिक्रोन का ही सब वेरिएंट है. लेकिन दोनों में बड़ा अंतर यह है कि XBB 1.5 बहुत तेजी से फैल रहा है और यह इम्युनिटी सिस्टम को चकमा भी दे रहा है. इसके मद्देनजर पुरानी बीमारी और कमजोर फेफड़ों (लंग्स) वाले मरीजों को पूरी सावधानी बरतनी होगी.
किसी वायरस में बदलाव होता है तो स्पाइक प्रोटीन के अंदर के सीक्वेंस में बदलाव होता है और यह खुद को ऐसे बदलता है कि खुद को सरवाइव रख सके और रिसेप्टर में फिट हो सके. इसके पैथोलॉजिकल और क्लीनिकल इफेक्ट्स पर नजर रखना होगा. अभी तक तो यह बहुत ज्यादा नहीं दिख रहा है, लेकिन क्लीनिकल असर में यह लोगों को कितना बीमार कर रहा है, उस पर नजर रखना होगा.
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डॉक्टर बताते हैं कि यह सब वेरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है. अमेरिका में संक्रमण की 40 फीसद वजह यही वेरिएंट है. उन्होंने कहा कि चिंता वाली बात तो नहीं है. हमारे पास हाइब्रिड इम्यूनिटी और डेल्टा संक्रमण से मिली इम्युनिटी भी है. बावजूद इस नए वेरिएंट को तुरंत खारिज नहीं किया जा सकता. देश में एक मामला XBB 1.5 का मिला है, इस पर नजर रखनी होगी और इसके असर पर भी ध्यान रखना होगा.
सफदरजंग हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ जुगल किशोर बताते हैं कि देखा जा रहा है कि यह वायरस इम्युनिटी को चकमा दे रहा है. अभी तक जो भी नया वेरिएंट आ रहा था और नाक से आगे नहीं बढ़ पा रहा था, क्योंकि शरीर में उसके खिलाफ इम्युनिटी थी. यह वायरस उसे आसानी से चकमा दे रहा है. ऐसे में जिनके लंग्स पहले से खराब हैं या अन्य कोई गंभीर बीमारी है या जिन्हें पहले हुए कोरोना में नुकसान हुआ था ऐसे लोगों के लिए यह वेरिएंट खतरनाक हो सकता है. अभी तक पता नहीं चला है कि स्वस्थ आबादी पर इसका कैसा असर हो रहा है.