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पराली पॉलिटिक्स: केंद्रीय मंत्री को सीएम की लिखी चिट्ठी को कांग्रेस ने बताया दिखावा - congress

पराली जलाने का सीजन शुरू होने के साथ ही दिल्ली में इस पर अब आरोप-प्रत्यारोप की सियासत भी शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को लिखी गई चिट्ठी को दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष ने जिम्मेदारियों से भागने का बहाना बताया है.

Chaudhary Anil Kumar
चौधरी अनिल कुमार

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Published : Sep 27, 2020, 5:46 PM IST

नई दिल्ली: हर साल सितम्बर के आखिरी हफ्ते से दिल्ली में पराली का धुआं प्रदूषण का कारण बनने लगता है और फिर शुरू होती है इस पर सियासत. इस बार थोड़ी देरी से ही सही, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा ने एक ऐसी तकनीक तैयार की है, जिसके प्रयोग से किसानों को पराली जलाने की मजबूरी से छुटकारा मिल जाएगा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते दिनों इस तकनीक को देखने के लिए कृषि अनुसंधान संस्थान का दौरा भी किया था.

पराली पॉलिटिक्स पर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष की राय.

'जिम्मेदारी से भागने का बहाना'

इसी बीच मुख्यमंत्री ने पराली और इस तकनीक पर चर्चा के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मिलने का समय मांगा, लेकिन समय न मिलने पर मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को बीते दिन एक शिकायती चिट्ठी लिख दी. इस चिट्ठी को दिल्ली कांग्रेस ने दिखावा और जिम्मेदारियों से भागने का बहाना बताया है. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत में दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों को निशाने पर लिया.

'चिट्ठी लिखना पूरी तरह से राजनीतिक'

चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि एक तरफ संक्रमण के दौरान सहायता का जिक्र करते हुए केजरीवाल प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की तारीफ करते हैं, उनके बुलाने पर गृह मंत्री निरीक्षण करने आ जाते हैं और अब वे इसका दिखावा कर रहे हैं कि पर्यावरण मंत्री से उन्हें मिलना का समय नहीं मिल रहा. उन्होंने यह भी कहा कि यह चिट्ठी लिखना पूरी तरह से राजनीतिक है और इसके जरिए केजरीवाल ने यह दिखाने की कोशिश की है कि पूरी जिम्मेदारी उनकी नहीं है.


'जनता के नाम लिखना चाहिए था पत्र'

प्रदूषण के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल वादे का जिक्र करते हुए अनिल कुमार ने कहा कि उन्होंने प्रदूषण कम करने के बड़े बड़े वादे किए थे, लेकिन उनके कार्यकाल में प्रदूषण और बढ़ गया. इन्हें चिट्ठी जनता को लिखनी चाहिए थी कि प्रदूषण से निजात के लिए इनकी सरकार ने क्या काम किया है, क्या तैयारियां की हैं. अनिल चौधरी ने केंद्र को भी कटघरे में खड़ा किया और कहा कि इनकी नींद तभी क्यों खुलती है, जब पराली जलनी शुरू हो जाती है.

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