नई दिल्ली: 7 दिसंबर को सुबह 11 बजे तीनों निगमों के मेयर, स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदन के नेता अचानक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिविल लाइंस स्थित आवास पर पहुंच गए. इनकी मांग थी कि इन्हें तीनों निगमों का बकाया 13 हजार करोड़ रुपया दिल्ली सरकार की तरफ से दिया जाए. इसे लेकर ये मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे. मुख्यमंत्री तक इन्होंने संदेश पहुंचाया, वे नहीं मिले और फिर ये सभी नेता यहां धरने पर बैठ गए.
27 अक्टूबर को भी हुआ था धरना
ऐसा 27 अक्टूबर को भी हो चुका था, जब इसी मांग को लेकर तीनों मेयर सीएम केजरीवाल के आवास पर पहुंच गए थे. लेकिन तब दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने देर शाम इनसे मुलाकात की थी और इनकी मांगों पर विचार का आश्वासन दिया था, जिसके बाद वो धरना समाप्त हो गया था. इसबार भी सबको ऐसा ही लगा, लेकिन इसबार सरकार की तरफ बातचीत के लिए कोई नहीं आया और निगम के नेता दिन रात बैठे रहे.
'सीएम को नजरबंद करने का आरोप'
इस दौरान आरोप लगा कि निगम नेताओं के धरने के कारण दिल्ली पुलिस ने सीएम केजरीवाल को उनके घर में नजरबंद कर दिया है. इसके बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित हजारों की संख्या में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता सीएम आवास के पास पहुंच गए और हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद इन्हें दूसरे गेट से सीएम आवास के भीतर जाने दिया गया. लेकिन इस दौरान भी और इसके बाद भी तमाम निगम के नेता धरने पर बैठे रहे.
पहुंचते रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता
निगम नेताओं के धरने में लगातार भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेता भी आते रहे. 8 दिसंबर को सुबह सांसद प्रवेश वर्मा और प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता यहां पहुंचे, वहीं दोपहर में सांसद मीनाक्षी लेखी ने यहां आकर धरनारत निगम नेताओं का उत्साहवर्धन किया. अगले दिन यानी 9 दिंसबर को सांसद मनोज तिवारी और गौतम गंभीर पहुंचे. इसी दिन दिल्ली के सभी पूर्व मेयर यहां निगम नेताओं के धरने को समर्थन देने के लिए आए.
'सिसोदिया पर जान से मारने का आरोप'
इधर धरना जारी था, उधर इस मुद्दे पर सियासत भी करवट बदल रही थी. 9 दिसंबर को दिल्ली भाजपा नेताओं ने निगम नेताओं को जान से मारने की साजिश रचने के आरोप में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर एफआईआर दर्ज करा दिया और अगले दिन यानी 10 दिसंबर को उनके आवास पर प्रदर्शन करने भी पहुंच गए. इसी दिन सुबह दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामबीर सिंह बिधूडी निगम नेताओं के धरने को समर्थन देने पहुंचे.
सभी मंत्रियों के आवास पर प्रदर्शन
वहीं 10 दिसंबर को ही दोपहर में सभी भाजपा विधायक और सभी विधानसभा उम्मीदवार भी सीएम आवास के धरनास्थल पर पहुंचे. 11 दिसंबर को एक तरफ आदेश गुप्ता और रामबीर सिंह बिधूड़ी इसी मुद्दे पर उपराज्यपाल से मुलाकात करने पहुंचे, वहीं भाजपा नेता कार्यकर्ताओं के साथ दिल्ली के सभी मंत्रियों के घरों के सामने प्रदर्शन करने पहुंच गए और अगले दिन ऐसा प्रदर्शन आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों के आवास के सामने हुआ.
NCW और NHRC पहुंच गया मामला
इसी बीच 13 दिसंबर की शाम मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से आरोप लगा कि धरना दे रहे निगम नेताओं ने यहां तोड़फोड़ की है, जबकि इन नेताओं का कहना था कि सीएम कार्यालय की तरफ से यहां कैमरे लगाए जा रहे थे, जो महिलाओं की निजता का उल्लंघन था. भाजपा इस मुद्दे को लेकर महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गई. इधर सर्द रात में खुले आसमान के नीचे सो रहे निगम नेताओं ने यहां टेंट लगाने की मांग की, जो नहीं मानी गई और उन्होंने अपनी तरफ से तिरपाल लगा लिया.
जब धरना स्थल से चला निगम कार्यालय
14 दिसंबर को तीनों निगमों के अधिकारियों को धरना स्थल पर ही बुलाया गया और मेयरों ने यहीं से अपने कार्यकाल का संचालन किया. इधर, आम आदमी पार्टी निगम पर 25 हजार करोड़ के घोटाले के आरोपों के साथ सड़क पर उतर गई, जवाब में धरना स्थल पर ही 16 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आदेश गुप्ता, गौतम गंभीर और प्रवेश वर्मा ने आरोप साबित न होने पर सीएम केजरीवाल के इस्तीफे की मांग कर दी.
17 दिसंबर से शुरू हुआ अनशन
17 दिसंबर को तो ढाई सौ मंडलों के करीब 40 हजार भाजपा कार्यकर्ताओं को धरनाररत निगम नेताओं के समर्थन में उपवास पर रहने को कहा गया और इसी दिन से तीनों मेयरों सहित 20 पार्षदों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया. उधर, निगम पर ढाई हजार करोड़ के घोटाले के आरोपों पर चर्चा के लिए विधानसभा के विशेष सत्र की कार्यवाही शुरू हुई, जिसके विरोध में प्रदेश अध्यक्ष सहित तमाम भाजपा नेता सड़क पर उतर गए.
बिगड़ने लगी नेताओं की तबीयत
18 दिसंबर को भाजपा ने अशनन पर बैठे निगम नेताओं के समर्थन में सफाई मजदूर कर्मचारी विकास परिषद से जुड़े लोगों को भी सड़क पर उतारा. लेकिन एक दिन के आमरण अनशन के बाद नेताओं की तबीयत बिगड़ने लगी. शाम में 4 महिला पार्षदों की तबीयत बिगड़ी. वहीं 19 दिसंबर को मेयर जयप्रकाश की तबीयत भी खराब हो गई. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की मेयर अनामिका मिथिलेश को तो अस्पताल जाना पड़ा. इसी बीच निगम नेताओं को दिल्ली पुलिस का नोटिस मिल गया.
'जनता के बीच ले जाएंगे ये लड़ाई'
19 दिसंबर की शाम केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी धरनास्थल पर पहुंचे और जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया. धरना खत्म करने के बाद ईटीवी भारत से बातचीत में मेयर जयप्रकाश ने कहा कि हमने इस धरने के जरिए निगम के तमाम कर्मचारियों को संदेश देने की कोशिश की कि हम उनके लिए लड़ रहे हैं. जाते जाते सीएम आवास के समाने लगे सीसीटीवी में देखकर जयप्रकाश ने कहा कि अगर 13 हजार करोड़ नहीं मिले, तो फिर आएंगे. उधर, आदेश गुप्ता अब इस लड़ाई को जनता के बीच ले जाने की बात कर रहे हैं.