नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन बैठक की शुरुआत में ही विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि बड़े दुख के साथ सदन को बताना पड़ रहा है कि इस वर्ष क्रिसमस और नए साल का जश्न नहीं मनाया जाएगा. इससे पहले विधानसभा में यह कार्यक्रम धूमधाम से मनाया जाता था और इसमें आम लोग भी हिस्सा लेते थे. इस बार यह आयोजित नहीं हो सकेगा. इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने इस तरह के आयोजन करने में जो खर्च होते हैं उसकी अनुमति नहीं दी है. इसलिए इस बार कार्यक्रम नहीं होगा.
सोमवार को विधानसभा सदन की बैठक सुबह सवा 11 बजे शुरू हुई और बैठक की शुरुआत होते ही स्पीकर रामनिवास गोयल ने कहा कि विधानसभा के कामकाज को किस कदर प्रभावित किया जा रहा है यह गत महीनों में देखा जा रहा है. बीते 8 महीने से विधानसभा में जो कंसल्टेंट नियुक्त थे उन्हें हटा दिया गया है. इससे कामकाज प्रभावित हो रहा है. इसी कड़ी में उन्होंने कहा कि विधानसभा परिसर में प्रत्येक वर्ष दिवाली, क्रिसमस, नए साल के अवसर पर जो कार्यक्रम होते थे इस बार नहीं होंगे. क्योंकि इस मद में होने वाले खर्च को विभाग से मंजूरी नहीं मिली है. यह काफी दुखद है.
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विधानसभा अध्यक्ष के इस बात पर आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि वित्त विभाग से संबंधित कई मुद्दे हैं. इसलिए आज सदन में प्रिंसिपल सेक्रेटरी फाइनेंस को बुलाया जाए. उन्होंने सदन की अनुमति से प्रस्ताव भी पेश किया. विधानसभा अध्यक्ष ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी फाइनेंस को बुलाने के प्रस्ताव पर सबकी सहमति ली और फिर प्रस्ताव पारित हुआ. हालांकि, इस दौरान भाजपा के विधायकों ने कहा कि सदन की बैठक की शुरुआत प्रश्न काल से होती है. प्रश्न काल शुरू होने से पहले इस तरह के प्रस्ताव लाने का कोई तुक ही नहीं बनता है, लेकिन विपक्ष की बात नहीं मानी गई.
नहीं आए प्रिंसिपल फाइनेंस सेक्रेटरीःविधानसभा में दोपहर 2 बजे तलब किए गए प्रिंसिपल फाइनेंस सेक्रेटरी नहीं पहुंचे. उन्होंने नोट भेजा है कि वो छुट्टी पर हैं. वहीं, इस पर AAP के विधायकों ने मांग की कि उन्हें आज ही दोबारा बुलाया जाए. जिस पर विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि सदन की भावना को समझते हुए प्रिंसिपल सेक्रेटरी फाइनेंस से दोबारा अनुरोध कर रहा हूं कि शाम पांच बजे वह सदन में उपस्थित हो, नहीं तो इस विषय को प्रिविलेज कमेटी को दे दिया जाएगा.
बता दें, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद दिल्ली विधानसभा में भी बड़े त्यौहार और दिन के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे. जिसमें आम लोगों को भी आने की अनुमति होती थी. इसमें मुख्यमंत्री और तमाम मंत्री भी शामिल होते थे.
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